Edited By Nitika, Updated: 06 Aug, 2024 12:36 PM
चमोलीः उत्तराखंड में चमोली के जोशीमठ से सेना की 418 इंजीनियरिंग कोर की टीम ने केदारनाथ के सोनप्रयाग में पहुंचकर पैदल आवाजाही सुचारू करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। सेना की यह टीम नवीं स्वतंत्र ब्रिगेड के कमांडर के दिशा निर्देशन में सेना के वरिष्ठ...
चमोलीः उत्तराखंड में चमोली के जोशीमठ से सेना की 418 इंजीनियरिंग कोर की टीम ने केदारनाथ के सोनप्रयाग में पहुंचकर पैदल आवाजाही सुचारू करने के लिए कवायद शुरू कर दी है। सेना की यह टीम नवीं स्वतंत्र ब्रिगेड के कमांडर के दिशा निर्देशन में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सोनप्रयाग पहुंची है, जहां पर सर्वेक्षण कार्य पूरा करने के बाद टीम ने फुट ब्रिज को लॉन्च करना शुरू कर दिया है।
सोनप्रयाग में बादल फटने से पैदल आवाजाही ठप
केदारनाथ के सोनप्रयाग में बादल फटने के कारण पैदल आवाजाही पूरी तरह से ठप है। इस कारण से एनडीआरएफ व एसडीआरएफ को भी रेस्क्यू कार्य सुचारू रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके साथ अधिकांश फंसे तीर्थ यात्रियों व अन्य लोगों का हैली रेस्क्यू किया जा रहा है।
418 इंजीनियरिंग कोर की पहली टुकड़ी पहुंची सोनप्रयाग
दरअसल, जोशीमठ ब्रिगेड की 418 इंजीनियरिंग कोर की पहली टुकड़ी दो दिन पहले ही सोनप्रयाग पहुंच गई थी। इसी दौरान सेना ने सोनप्रयाग में मंदाकिनी नदी के ऊपर दो फुट ब्रिज बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। सेना के अधिकारियों की मानें तो बीती देर सायं तक दूसरा पैदल पुल तैयार होने की बात कही, जिसके बाद दूसरे पैदल पुल से भी एक बार में दो लोग आर पार हो सकेंगे।
टीम ने मंदाकिनी नदी के ऊपर 60 फीट लंबा पैदल पुल किया तैयार
वहीं सेना के इस दल में दो अधिकारी, 3 जेसीओ व 20 जवान शामिल हैं। इसमें 418 इंजीनियरिंग के ओसी के नेतृत्व में सेना की इस टीम ने मंदाकिनी नदी के ऊपर एक 60 फीट लंबा पैदल पुल तैयार कर दिया है। जबकि दूसरा 80 फीट लंबा पैदल ब्रिज बीती देर शाम तैयार हो जाएगा। इन दोनों पैदल ब्रिज के बन जाने के बाद घाटी में सभी प्रकार की वैकल्पिक आवाजाही शुरू हो जाएगी।
ब्रिज बनाने वाले स्थान तक पहुंचने के लिए 3 किमी. पैदल चली सेना की टीम
बता दें कि ब्रिज बनाने वाले स्थान तक पहुंचने के लिए सेना की टीम 3 किमी. पहाड़ी, जंगल व नदी के किनारे की दूरी तय कर पहुंची। इससे पहले सेना की टीम ने कुछ अन्य स्थानों में भी पैदल ब्रिज बनाने का प्रयास किया लेकिन ठोस स्थान नहीं मिलने के कारण कामयाबी नहीं मिल पाई। मंदाकिनी नदी के दूसरे किनारे तक पहुंचने के लिए सेना ने सबसे पहले एक 500 फीट एरियल केवल वे तैयार किया, जिससे पैदल ब्रिज बनाने के लिए सामान व कुछ जवानों को नदी के दूसरे किनारे भेजा गया।