Edited By Harman Kaur, Updated: 12 Mar, 2023 02:09 PM
उत्तराखंड राज्य का गठन हुए 22 साल हो चुके है, लेकिन अभी प्रदेश में 6 हजार से अधिक गांवों सड़क के लिए मोहताज हैं, इन इलाकों में अभी तक सड़क नहीं बनी है...
देहरादून: उत्तराखंड राज्य का गठन हुए 22 साल हो चुके है, लेकिन अभी प्रदेश में 6 हजार से अधिक गांवों सड़क के लिए मोहताज हैं, इन इलाकों में अभी तक सड़क नहीं बनी है। जिस कारण इन गांव के लोगों को अपने रोजाना के कामों के लिए आज भी 10-10 किमी पैदल चलना पड़ रहा है। इतना पैदल चलने के बाद ही वे मोटर मार्ग तक पहुंच पाते हैं। प्रदेश में 5828 गांव आज भी शून्य से 5 किमी तक के फासले पर हैं।
बता दें कि ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग (Rural Development and Migration Prevention Commission) ने अपनी दूसरी अंतरिम रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। आयोग ने प्रदेश के पलायन की जिन प्रमुख समस्याओं को जिम्मेदार माना है, उनमें एक सड़कें भी हैं। अच्छी सड़कों के न होने के कारण ही ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं सहज रूप से उपलब्ध नहीं हैं। इसी के चलते लोगों को अपने घर छोड़कर ऐसे स्थानों पर पलायन करना पड़ रहा है, जहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं के साथ अन्य सुविधाएं भी आसानी से मिल सके।
इन गांव में नहीं है सड़क, देखें लिस्ट....
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 10 किमी से अधिक की दूरी पर 82 गांव, तोक और मजरे मौजूद है। छह से 10 किमी दूरी पर 376 तथा शून्य से पांच किमी दूरी पर 5828 गांव सड़क सुविधा से वंचित हैं। जहां विकासखंड ओखलकांडा में 197, धौलादेवी में 194 व डीडीहाट 191 गांव सड़कों से वंचित हैं। अलबत्ता विकास नगर, हल्द्वानी, रुद्रपुर और बाजपुर ब्लॉक में सिर्फ एक-एक गांव है जो सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। ये सभी मैदानी गांव हैं। वहीं, डोईवाला, रुड़की, बहादराबाद, भगवानपुर, खानपुर, नारसन, लक्सर, काशीपुर, सितारगंज, जशपुर और गदरपुर विकासखंड के सभी राजस्व गांव सड़क से जुड़े हुए हैं।