उत्तराखंड HC ने विधायिका, कार्यपालिका को दिखाया आईना... जागेश्वर के विधायक मेहरा को नोटिस

Edited By Nitika, Updated: 22 Sep, 2023 04:57 PM

uttarakhand hc shows mirror to legislature

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जारी अपने महत्वपूर्ण आदेश में प्रदेश में विधायिका और कार्यपालिका को आईना दिखाया है और उनकी कार्यशैली पर गंभीर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि राजनीतिज्ञ बिना विशेषज्ञता के प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं और...

 

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जारी अपने महत्वपूर्ण आदेश में प्रदेश में विधायिका और कार्यपालिका को आईना दिखाया है और उनकी कार्यशैली पर गंभीर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि राजनीतिज्ञ बिना विशेषज्ञता के प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं और प्रशासनिक अधिकारी उनके दबाव में हथियार डाल देते हैं।

अदालत ने विधायक मोहन सिंह मेहरा को व्यक्तिगत नोटिस भी जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। साथ ही जिला पंचायत के काम रोके जाने के आदेश को स्थगित कर दिया है। यह वाकया है अल्मोड़ा जिले की जागेश्वर विधानसभा की मटकन्या, गैराड़, काफली और मनी आगर ग्राम पंचायतों में स्थानीय विधायक के निर्देश पर विकास कार्य रोके जाने का। जिला पंचायत अल्मोड़ा की ओर से उपरोक्त ग्राम पंचायतों में विभिन्न विकास कार्यों के लिये निविदा जारी की गई। निविदा याचिकाकर्ता राजेन्द्र दुर्गापाल के नाम पर जारी हुई। इसी साल छह जून को बकायदा कार्यादेश जारी हुआ और याचिकाकर्ता ने विकास कार्य शुरू कर दिए। इसके बाद 28 जुलाई को इस मामले में नया मोड़ आया और स्थानीय भाजपा विधायक मोहन सिंह मेहरा के पत्र का हवाला देते हुए जिला पंचायत ने विकास कार्यों पर रोक लगा दी आखिरकार जिला पंचायत के इस कदम को दुर्गापाल की ओर से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में इस मामले पर सुनवाई हुई। अदालत ने सुनवाई के बाद जिला पंचायत के आदेश को स्थगित कर दिया और ठेकेदार के पक्ष में कार्य शुरू करने की अनुमति जारी करने के निर्देश जिला पंचायत को दे दिए। अदालत ने अपने आदेश में राजनीतिज्ञों और अफसरशाही की कार्यशैली पर भी तल्ख टिप्पणी की गई। अदालत ने कहा कि राजनीतिज्ञ बिना विशेषज्ञता के प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं और प्रशासनिक अधिकारी अपने अधिकारों को प्रयोग किए बिना उनके दबाव में सरेंडर कर देते हैं, जो कि गलत है। अदालत विधायक मोहन सिंह मेहरा को व्यक्तिगत नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।

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