Edited By Vandana Khosla, Updated: 13 Sep, 2024 12:57 PM
रूद्रप्रयाग: उत्तराखंड में पहाड़ के पौष्टिक मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार निरंतर काम कर रही हैं। रुद्रप्रयाग जनपद में उनके पौष्टिक मोटे अनाज के अधिकाधिक उत्पादन के लिए सरकार काश्तकारों को उन्नत किस्म के बीज और उपकरण भी...
रूद्रप्रयाग: उत्तराखंड में पहाड़ के पौष्टिक मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार निरंतर काम कर रही हैं। रुद्रप्रयाग जनपद में उनके पौष्टिक मोटे अनाज के अधिकाधिक उत्पादन के लिए सरकार काश्तकारों को उन्नत किस्म के बीज और उपकरण भी मुहैया करवा रही है।
बीते वर्ष किसानों को 93 लाख के करीब हुआ था फायदा
दरअसल, रुद्रप्रयाग जनपद में पौष्टिक अनाज कार्यक्रम के तहत मोटे अनाज को बढ़ावा दिया जा रहा है। बताया गया कि अकेले रुद्रप्रयाग जिले में मंडुवे का उत्पादन 5 हजार 800 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किया जा रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार ने बीते वर्ष मंडुवे का 39 रूपया समर्थन मूल्य जारी कर महिला समूहों और काश्तकारों से 24 सौ 39 क्विंटल मंडुवे की खरीद की गई। इसमें किसानों को 93 लाख के करीब फायदा हुआ था। वहीं आगे बताया गया कि मंडुवा, झंगोरा और चौलाई पर विशेष रूप से कार्य किया जा रहा है, जिससे किसानों की आय भी दोगुनी हो रही है।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने फसलों का किया निरीक्षण
जनपद भ्रमण के दौरान कृषि मंत्री गणेश जोशी ने भी दुर्गाधार में स्थानीय कृषकों से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने किसानों के साथ खेतों में जाकर तैयार हो रही फसलों का भी निरीक्षण किया। साथ ही किसानों से उनका फीडबैक भी लिया। कृषि मंत्री ने दुर्गाधार गांव में मिलेट मिशन के तहत किसानों द्वारा तैयार की जा रही मंडुवा, सोयाबीन, फ्रासबीन, तोर की दाल, रामदाना, चौलाई आदि फसलों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं कृषकों को सब्सिडी पर बीज व उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सरकार किसानों की आय को बढाने हेतु निरंतर प्रयासरत है। इसके लिए किसानों द्वारा तैयार की जा रही फसलों का उन्हें उचित मूल्य उपलब्ध हो, इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा है।
किसानों को मिल रहा फसलों का उचित दाम
गणेश जोशी ने कहा कि राज्य भर में 5 लाख से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से जुड़ी हैं। वहीं इस समूह की महिलाओं के द्वारा किसानों से उनके घरों में जाकर उत्पाद को खरीदा जा रहा हैं। इससे जहां एक ओर किसानों के सामने विपणन की समस्या समाप्त हो गई हैं। वहीं किसानों को उनके द्वारा तैयार फसलों का उचित दाम भी मिल रहा ।