शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की आराधना, मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंच रहे भक्त

Edited By Vandana Khosla, Updated: 03 Oct, 2024 02:08 PM

worship of mother shailputri on the first day of shardiya navratri

हल्द्वानी: आज यानी 3 अक्टूबर को शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन हल्द्वानी के विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना और मां शैलपुत्री की आराधना हो रही है। वहीं, जिले के अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मंदिर मेंभक्त मां शैलपुत्री के दर्शनों के लिए पहुंच रहे है। इस दौरान...

हल्द्वानी: आज यानी 3 अक्टूबर को शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन हल्द्वानी के विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना और मां शैलपुत्री की आराधना हो रही है। वहीं, जिले के अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मंदिर में  भक्त मां शैलपुत्री के दर्शनों के लिए पहुंच रहे है। इस दौरान सुबह से ही मंदिर में भक्तों की लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई है। भक्त मंदिर में पहुंचकर विधि-विधान के साथ मां की पूजा कर आशीर्वाद ले रहे है।

दरअसल, हल्द्वानी के बेरी पड़ाव स्थित अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मंदिर में माता के सभी नौ रूप विद्यमान हैं। वहीं, शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना के लिए भक्त माता के दर्शनों को पहुंच रहे हैं। इस शुभ अवसर पर महामंडलेश्वर श्री सोमेश्वर यति महाराज जी ने बताया कि हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। इस नवरात्रि में मां की आराधना करने वालों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही कहा कि मां की आराधना करने से भक्तों को हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है। इस के अतिरिक्त मां शैलपुत्री की आराधना करने से कन्याओं को उत्तम वर मिलता है।
 
बता दें कि नवरात्रि के प्रथम दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना होती है। हिमालय की पुत्री होने के कारण इनको शैलपुत्री कहा जाता है। पूर्व जन्म में इनका नाम सती था और ये भगवान शिव की पत्नी थी। सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था। इसी कारण सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था। अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री बनी और भगवान शिव से ही विवाह किया।

 

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