Edited By Nitika, Updated: 30 Mar, 2023 04:47 PM
उत्तराखंड के हरिद्वार में पतंजलि के माध्यम से विश्व भर में योग को बढ़ावा देने वाले योग ऋषि स्वामी रामदेव ने अपने 29वें संन्यास दिवस पर नया इतिहास रचते हुए अष्टाध्यायी, महाभाष्य व्याकरण, वेद, वेदांग, उपनिषद में दीक्षित शताधिक विद्वान् एवं विदुषी...
हरिद्वार/देहरादूनः उत्तराखंड के हरिद्वार में पतंजलि के माध्यम से विश्व भर में योग को बढ़ावा देने वाले योग ऋषि स्वामी रामदेव ने अपने 29वें संन्यास दिवस पर नया इतिहास रचते हुए अष्टाध्यायी, महाभाष्य व्याकरण, वेद, वेदांग, उपनिषद में दीक्षित शताधिक विद्वान् एवं विदुषी संन्यासियों को राष्ट्र को समर्पित किया। आचार्य बालकृष्ण ने लगभग 500 नैष्टिक ब्रह्मचारियों को दीक्षा दी।
इस अवसर पर आरएसएस के सर संघ चालक पूज्य मोहन भागवत ने कहा कि सबसे बड़ा त्याग नवसंयासियों के माता-पिता का है, जिन्होंने अपने बच्चे को पाल-पोसकर देश, धर्म, संस्कृति और मानवता के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज से लगभग 10 वर्ष पहले का वातावरण ऐसा नहीं था और मन में चिंता होती थी, लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं। यहां युवा संन्यासियों को देखकर सारी चिंताओं को विराम मिल गया है। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में संन्यासियों को देश सेवा में समर्पित करना रामराज्य की स्थापना, ऋषि परम्परा तथा भावी आध्यात्मिक भारत के स्वप्न को साकार करने जैसा है।
कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने कहा ,‘‘संन्यास मर्यादा, वेद, गुरु एवं शास्त्र की मर्यादा में रहते हुए नव संन्यासी एक बहुत बड़े संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हो रहे हैं। ब्रह्मचर्य से सीधे संन्यास में प्रवेश करना सबसे बड़ा वीरता का कार्य है। इन संन्यासियों के रूप में हम अपने ऋषियों के उत्तराधिकारियों को भारतीय संस्कृति तथा परम्परा के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित कर रहे हैं।'' स्वामी रामदेव ने कहा कि संन्यासी होना जीवन का सबसे बड़ा गौरव है। अब से सभी 100 संन्यासी ऋषि परम्परा का निर्वहन करते हुए मातृभूमि, ईश्वरीय सत्ता, ऋषिसत्ता तथा अध्यात्मसत्ता में जीवन व्यतीत करेंगे। पिछले नौ दिनों से अनवरत चल रहा तप व पुरुषार्थपूर्ण अनुष्ठान आज पूर्ण हुआ। स्वामी जी ने कहा कि आज हमने नवसंयासियों की नारायणी सेना तैयार की है, जो पूरे विश्व में संन्यास धर्म, सनातन धर्म व युगधर्म की ध्वजवाहक होगी।