Edited By Vandana Khosla, Updated: 08 Apr, 2025 10:16 AM

ऋषिकेश: उत्तराखंड ऋषिकेश नगर निगम चुनाव में निर्वाचित मेयर शंभु पासवान के पद पर खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने मेयर शंभु पासवान के जाति प्रमाणपत्र संबंधी याचिका निस्तारित कर दी है। साथ ही हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून को चार सप्ताह...
ऋषिकेश: उत्तराखंड ऋषिकेश नगर निगम चुनाव में निर्वाचित मेयर शंभु पासवान के पद पर खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने मेयर शंभु पासवान के जाति प्रमाणपत्र संबंधी याचिका निस्तारित कर दी है। साथ ही हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून को चार सप्ताह के भीतर मेयर के जाति प्रमाणपत्र की जांच कर निर्णय लेने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई की।
"शंभु पासवान ने चुनाव लड़ने के लिए खुद को अनुसूचित जाति का बताया"
आपको बता दें कि ऋषिकेश नगर निगम चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश चंद्र मास्टर ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया कि मेयर शंभु पासवान ने चुनाव लड़ने के लिए खुद को अनुसूचित जाति का बताया है। जबकि अन्य कागजी कार्रवाई में शंभु पासवान ने खुद को सामान्य जाति का बताया है। याचिकाकर्ता का आरोप कि राज्य बनने से चंद माह पहले शंभु पासवान ने अपना जाति प्रमाणपत्र बनवा लिया था, इसी आधार पर 2016 में जाति प्रमाण पत्र बनवाया।
आरोप सही पाए गए तो शंभु पासवान का मेयर पद जाना तय
याचिकाकर्ता का कहना था कि जब जिलाधिकारी को प्रत्यावेदन दिया तो उन्होंने जांच नहीं की। यहां तक कि सूचना का अधिकार अधिनियम में जाति प्रमाणपत्र से संबंधित आवेदन करने के बाद भी रिकॉर्ड नहीं दिए जा रहे हैं। डीएम देहरादून की जांच के बाद अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो शंभु पासवान का मेयर पद जाना तय माना जा रहा है।
संबंधित मामले में शंभु पासवान ने रखा अपना पक्ष
इस संबंध में शंभु पासवान ने अपना पक्ष रखा है कि जो जमीन की मूल्य रजिस्ट्री है वह 2002 में हुआ था। उसमें साफ़ लिखा है कि उनका नाम शंभू पासवान है। इस जमीन को लेने के बाद जब उसे बेचा तो रजिस्ट्री करने वाले लोगों ने छपे हुए मैटर का इस्तेमाल करने के चलते गलत जाति लिख दिया। उन्होंने कहा कि बाकी सभी कागजों में उनका नाम शंभू पासवान ही चलता आ रहा है। रजिस्ट्री करने वालों से गलती हुई है। कि उन्होंने गलत छाप दिया है। ऐसे में लोग इसे राई का पहाड़ बनाने का काम कर रहे है। जबकि यह कोई मुद्दा बनाने वाली बात बनी नहीं है।