Edited By Khushi, Updated: 01 Dec, 2024 06:18 PM
उत्तराखंड पुलिस उस व्यक्ति की ''दोहरी पहचान'' से जुड़े मामले पर बारीकी से नजर रख रही है जिसके अपहरण के कई साल बाद अपने परिवार से दोबारा मिलने की दो अलग-अलग कहानियां देहरादून और गाजियाबाद में सामने आई हैं।
देहरादून: उत्तराखंड पुलिस उस व्यक्ति की ''दोहरी पहचान'' से जुड़े मामले पर बारीकी से नजर रख रही है जिसके अपहरण के कई साल बाद अपने परिवार से दोबारा मिलने की दो अलग-अलग कहानियां देहरादून और गाजियाबाद में सामने आई हैं। यह मामला मोनू शर्मा उर्फ भीम सिंह से संबंधित है जिसने देहरादून और गाजियाबाद में एक जैसा दावा किया है कि बचपन में उसका अपहरण कर लिया गया था और उसे राजस्थान में बंधुआ मजदूर की तरह रहने के लिए मजबूर किया गया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, हाल में इस व्यक्ति ने उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के एक पुलिस थाने में जाकर दावा किया कि 31 साल पहले जब वह केवल आठ साल का था, तब उसका अपहरण कर लिया गया था। उसने पुलिस को अपना नाम भीम सिंह बताया तथा कहा कि इस दौरान उसे राजस्थान में रखा गया। बाद में उसका पुनर्मिलन गाजियाबाद के एक परिवार से हुआ। इस घटना के सामने आते ही देहरादून में भी इस व्यक्ति से जुड़ी इसी प्रकार की एक अन्य कहानी का पता चला जहां वह कुछ समय पहले तक मोनू शर्मा की एक अलग पहचान के साथ रह रहा था। पुलिस ने यहां बताया कि देहरादून के एक पुलिस थाने में करीब पांच माह पहले एक व्यक्ति पहुंचा और उसने पुलिस से अपने माता-पिता को ढूंढने की गुहार लगाई। पुलिस ने समाचार पत्रों तथा अन्य माध्यमों से उसकी तस्वीर प्रसारित की जिसके बाद बरसों से बाट जोह रही एक महिला आशा शर्मा ने उसे अपने पुत्र के रूप में पहचान लिया और इस तरह उसका अपने परिवार से पुनर्मिलन हो गया। पुलिस ने बताया कि लेकिन कुछ दिन पहले अपने घर से किसी काम के सिलसिले में दिल्ली जाने के लिए निकले मोनू ने फिर अपने माता-पिता से कभी संपर्क नहीं किया। बाद में आशा को पता चला कि उनके कथित बेटे ने गाजियाबाद पुलिस से अपने माता-पिता को ढूंढने को कहा और उसके बाद उसका वहां भी अपने ‘‘नए'' परिवार से पुनर्मिलन हो गया है।
आशा शर्मा ने कहा कि मोनू जब से आया था, वह उनकी विवाहित बेटी के बच्चों को घर से बाहर निकालने को कहते हुए आए दिन झगड़ा करता रहता था। आशा के पति कपिलदेव शर्मा ने कहा कि उन्हें हमेशा से इस बात पर संदेह था कि वह व्यक्ति उनका बेटा है या नहीं लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी की बात मानकर उसे अपने घर में रहने दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली जाने से पहले उसने यहां के एक व्यक्ति से 8,000 रुपए उधार भी लिए थे। कपिलदेव ने कहा कि पुलिस की टीम सुबह उनके घर आई थी और उन्होंने उसे बता दिया कि अब वे नहीं चाहते कि वह व्यक्ति कभी वापस आए। देहरादून में इस व्यक्ति को अपने ‘‘माता-पिता'' से मिलाने में मदद करने वाले मानव तस्करी रोधी इकाई के निरीक्षक प्रवीण पंत ने कहा कि अभी मामले की जांच जारी है और अगर जरूरी हुआ तो टीम गाजियाबाद भी जाएगी। पंत ने कहा कि युवक जब देहरादून आया था तो वह मानसिक रूप से थोड़ा अस्थिर प्रतीत हो रहा था। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि पुलिस गाजियाबाद में सामने आए इस मामले में बारीकी से नजर रख रही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल देहरादून में उस व्यक्ति के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।