संस्कृत भाषा के उत्थान को लेकर हरिद्वार में संस्कृत भारती गोष्ठी का आयोजन, CM धामी सहित कई विद्वान शामिल

Edited By Vandana Khosla, Updated: 15 Sep, 2024 03:46 PM

sanskrit bharti seminar organized in haridwar

हरिद्वारः संस्कृत भाषा के उत्थान एवं इसे जन-जन की भाषा बनाने के लिए संस्कृत भारती द्वारा वेदव्यास मंदिर में दो दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित देश के कोने-कोने से विद्वान शामिल हुए। उन्होंने संस्कृत भाषा...

हरिद्वारः संस्कृत भाषा के उत्थान एवं इसे जन-जन की भाषा बनाने के लिए संस्कृत भारती द्वारा वेदव्यास मंदिर में दो दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित देश के कोने-कोने से विद्वान शामिल हुए। उन्होंने संस्कृत भाषा को भारतीय संस्कृति की मूल भाषा बताते हुए इसे सभी को अपनाने के लिए कहा। विद्वानों का कहना है कि संस्कृत भाषा को न केवल कर्मकांड की भाषा तक सीमित रखा जाए, बल्कि इसे जन-जन की भाषा बनाने पर जोर दिया जाए।

"संस्कृत भाषा बने जन-जन की भाषा"
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बड़े सौभाग्य की बात है कि पूरे भारतवर्ष से संस्कृत के विद्वान यहां पर आए हैं। साथ ही संस्कृत भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए एक साधक के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा न केवल पूजा पाठ की भाषा बने बल्कि यह जन-जन की भाषा बने। धामी ने कहा कि हम प्रयास कर रहे हैं कि आने वाली पीढ़ी भी संस्कृत भाषा को अपनाकर भारत के संस्कृति और सभ्यता से जुड़े। उन्होंने कहा कि हमने पिछले विधानसभा सत्र में एक औपचारिक सेशन भी किया था जिससे लोगों को संस्कृत अपनाने का आह्वान किया गया था। सीएम ने कहा कि हमारे प्रदेश की प्रतिबद्धता है कि हम सार्वजनिक स्थलों पर भी संस्कृत भाषा में स्लोगन और बोर्ड आदि लगाए ताकि संस्कृत भाषा का ज्यादा से ज्यादा प्रचार व प्रसार हो सके ।

"विकिपीडिया की जगह वैदिक पीडिया भी बनाना चाहिए"
वहीं इस मौके पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष चिदानंद मुनि महाराज ने कहा कि उत्तराखंड देवों की भूमि है। जहां ऋषि वेदव्यास ने बद्रीनाथ के सरस्वती के तट पर बैठकर वेदों और पुराणों की रचना की और पूरे विश्व को ज्ञान दिया। वहीं उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भूमि में भी संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। साथ ही विकिपीडिया की जगह वैदिक पीडिया भी बनाना चाहिए ताकि लोग हमारी संस्कृति को जाने। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होगा की कुंभ मेले में या उससे पहले हम ऐसी योजना बनाएं जिसमें भारती संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार पूरे विश्व में किया जा सके। वहीं लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए एक ध्वज वाहक के रूप में काम करें और सभी संत इसमें सहयोग करेंगे ।

"उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा किया घोषित"
संस्कृत भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपीबंधु मिश्र ने कहा कि संस्कृत भारती पिछले 43 वर्षों से संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा केवल कर्मकांड की भाषा नहीं है। यह सभी जाति धर्म और संप्रदाय के लोगों की भाषा है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा घोषित किया गया है। वहीं आगे कहा कि संस्कृति भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए सभी लोगों को साथ लेकर चल रही है और लाखों लोग इससे जुड़े हुए हैं। 

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