Edited By Vandana Khosla, Updated: 09 Oct, 2024 04:00 PM
अल्मोड़ाः उत्तराखंड के अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव को लेकर तैयारियां की जा रही है। दरअसल,सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव अपनी अनूठी परंपराओं और रचनात्मकता के लिए देश-दुनियां में प्रसिद्ध है। इस महोत्सव को लेकर स्थानीय कलाकारों के द्वारा...
अल्मोड़ाः उत्तराखंड के अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव को लेकर तैयारियां की जा रही है। दरअसल,सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव अपनी अनूठी परंपराओं और रचनात्मकता के लिए देश-दुनियां में प्रसिद्ध है। इस महोत्सव को लेकर स्थानीय कलाकारों के द्वारा पुलतों का इको-फ्रेंडली निर्माण किया जा रहा है। वहीं इन पुतलों का निर्माण लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा।
जानकारी के अनुसार अल्मोड़ा का दशहरा 1865 दशक से रामलीला मंचन से जुड़ा हुआ है। दशहरा महोत्सव के आयोजक ने बताया कि सर्व प्रथम बद्रेश्वर की रामलीला में रावण का पुतला बनाया गया था। वहीं देश आजाद होने के बाद 1952 से लगातार रावण परिवार के पुतलों का निर्माण शुरू हुआ। जो आज भी निरंतर जारी है। इसी के साथ ही मनोज पवार कलाकार ने कहा कि दशहरा महोत्सव के लिए जहां पहले केवल रावण, मेघनाथ, कुंभकरण के पुतले बनाए जाते थे। वहीं अब पुतलों की संख्या बहुत बढ़ गई है। बताया गया कि इस दौरान 30 से अधिक पुतलों का निर्माण किया जा रहा है।
बता दें कि स्थानीय कलाकार देर रात तक रावण, मेघनाथ, कुंभकरण सहित रावण परिवार के पुतलों का निर्माण कर रहे हैं। इस दौरान कागज, गत्ता और लोई का उपयोग करके ये इको-फ्रेंडली पुतले बनाए जा रहे है। दशहरे के दिन इन सभी पुतलों को एकत्रित कर पूरे बाजार में घुमाया जाएगा। इसके अतिरिक्त परंपरा के अनुसार बाद में इन पुतलों का दहन एक निश्चित स्थान पर किया जाएगा।