Edited By Imran, Updated: 20 Oct, 2024 01:34 PM
उत्तराखंड के चमोली जिले के माइथान गांव में रहने वाले स्थानीय लोगों ने समुदाय विशेष के लोगों को 31 दिसंबर तक गांव छोड़ने की चेतावनी दी। व्यापार मंडल के एक पदाधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
गोपेश्वर: उत्तराखंड के चमोली जिले के माइथान गांव में रहने वाले स्थानीय लोगों ने समुदाय विशेष के लोगों को 31 दिसंबर तक गांव छोड़ने की चेतावनी दी। व्यापार मंडल के एक पदाधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि समुदाय विशेष के लोगों को गांव छोड़ने के लिए निर्धारित समय सीमा से पहले ऐसा करना होगा और नहीं करने पर उन्हें तथा उनके मकान मालिकों पर जुर्माना लगाया जाएगा। माइथान व्यापार मंडल और स्थानीय लोगों ने तीन दिन पहले बुधवार को एक बैठक में जिले में हो रही आपराधिक गतिविधियों पर चर्चा के दौरान यह निर्णय लिया। माइथान व्यापार मंडल के अध्यक्ष बलदेव सिंह नेगी ने शनिवार को फोन पर बताया कि पिछले कुछ समय से पूरे जिले में खासतौर पर महिलाओं से जुड़ी आपराधिक घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और इनमें समुदाय विशेष के लोगों की संलिप्तता सामने आ रही है।
उन्होंने कहा, “इस तरह की आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए व्यापार मंडल व क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने सभा कर सर्वसम्मति से दो प्रस्ताव पारित किए और दूसरे समुदाय के लोगों को क्षेत्र से बाहर जाने के लिए 31 दिसंबर की मोहलत दी गयी।” चमोली के पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने बताया कि उन्हें इस निर्णय के बारे में जानकारी नहीं है हालांकि स्थानीय लोगों की मांग पर उस इलाके में बाहरी लोगों का सत्यापन किया जा रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा समुदाय विशेष के लोगों को 31 दिसंबर तक गांव छोड़ने की समयसीमा दिये जाने पर पुलिस कार्रवाई करेगी के बारे में पूछे जाने पर पंवार ने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी निर्णय के बारे में जानकारी नहीं है। स्थानीय लोगों ने समुदाय विशेष के लोगों को गांव छोड़ने के अलावा फेरी के नाम पर क्षेत्र में आने वालों के लिए भी 31 दिसंबर के बाद रूकने पर रोक लगायी है।
नेगी ने बताया कि प्रस्ताव पर अमल न करने वाले मकान मालिक और उनके मकान में रहने वाले दूसरे समुदाय के निवासरत व्यक्तियों दोनों को जुर्माने से दंडित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि चमोली जिले के नंदानगर व गौचर की घटना के मद्देनजर और हाल के दिनों में खंसर घाटी में बिना सत्यापन के आ रहे फेरीवालों व दूसरे समुदाय के लोगों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। न