Edited By Vandana Khosla, Updated: 16 Sep, 2024 08:50 AM
चमोलीः पुरातन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार वामन द्वादशी के दिन माता मूर्ति धार्मिक उत्सव संपन्न हुआ। बीते रविवार को आयोजित हुए इस धार्मिक उत्सव पर भगवान बद्री विशाल अपनी मां मूर्ति से मिलने अदृश्य रूप में पहुंचे। प्रातः कालीन पूजाएं संपन्न होने...
चमोलीः पुरातन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार वामन द्वादशी के दिन माता मूर्ति धार्मिक उत्सव संपन्न हुआ। बीते रविवार को आयोजित हुए इस धार्मिक उत्सव पर भगवान बद्री विशाल अपनी मां मूर्ति से मिलने अदृश्य रूप में पहुंचे। प्रातः कालीन पूजाएं संपन्न होने और बाल भोग ग्रहण करने के बाद मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी की अगुवाई में सैकड़ों श्रद्धालुओं और गाजे बाजे के साथ यात्रा का शुभारंभ हुआ और भगवान बद्री विशाल के प्रतिनिधि उद्धव मां मूर्ति देवी से मिलने बद्रीनाथ धाम से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर बाम भाग में स्थित मूर्ति धाम माणा पहुंचे।
मूर्ति धाम में स्थानीय लोगों ने देवडोलियों का किया स्वागत
बता दें कि मूर्ति धाम माणा पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने पौराणिक तौर तरीकों और वाद्य यंत्रों के साथ देवडोलियों का स्वागत किया। वहीं इस मौके पर महिलाओं ने भगवान नारायण और मां मूर्ति देवी की पूजा अर्चना की। इसके बाद भगवान बद्री विशाल के मुख्य पुजारी और अन्य पुरोहितों द्वारा भगवान नारायण के भाई उद्धव जो कि भगवान बद्री विशाल के प्रतिनिधि के रूप में इस आयोजन के दौरान अपनी मां से मिलने जाते हैं। उनके चल विग्रह को मां मूर्ति देवी की गोद में रखकर उनका अभिषेक किया गया और भगवान बद्री विशाल ने दोपहरी का भोग प्रसाद मां मूर्ति देवी के समक्ष ही ग्रहण किया। इसके बाद भगवान बद्री विशाल मां मूर्ति देवी से विदा ले कर वापस बद्री पुरी को लौट आए। माता मूर्ति मेले के दौरान स्थानीय ग्रामीणों और सेना द्वारा श्रद्धालुओं के लिए भंडारे और सूक्ष्म जलपान की व्यवस्था की गई थी। इस दौरान रास्ते भर भगवान बद्री विशाल के जयकारों के साथ श्रद्धालुओं ने भक्तिमय अंदाज में झूमते हुए इस मेले का आनंद लिया।
इसलिए मनाया जाता है उत्सव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां मूर्ति देवी भगवान बदरी विशाल की माता है। मान्यता है कि जब भगवान नारायण ने मां मूर्ति देवी की पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा अर्चना की तो मां ने प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने को कहा। तब भगवान नारायण ने मां से घर बार छोड़कर तपस्वी बन तपस्या करने का वरदान मांगा। वहीं अपने पुत्र की ऐसी मांग को सुन मां व्याकुल हो गई, लेकिन मां ने उन्हें वरदान दे दिया। इसके बाद भगवान नारायण कई हजार वर्षों तक घोर तपस्या में लीन हो गए। जब मां उन्हें ढूंढते हुए बद्रिकाश्रम पहुंची तो मां ने भगवान नारायण से वचन लिया कि वर्ष में एक बार आप मुझसे मिलने अवश्य आएंगे। इस वचन के अनुसार ही वामन द्वादशी के अवसर पर बद्रीनाथ धाम में माता मूर्ति मेले का आयोजन होता है।
दोपहर तक बंद रहा बदरीनाथ मंदिर
भगवान बद्री विशाल के एक प्रतिनिधि उद्धव के चल विग्रह के बाद बदरीनाथ धाम से माता मूर्ति मेले के लिए प्रस्थान करने के साथ ही भगवान बद्री विशाल का मंदिर बंद हो गया। इसके बाद भगवान की दोपहर की पूजाएं और भोग मां मूर्ति देवी के साथ संपन्न होने के बाद जब नारायण बद्री पुरी को वापस लौटे तब शाम से बद्रीनाथ धाम में नारायण की पूजाएं पुनः संचालित हुई।
घंटाकर्ण ने दिया था मेले का निमंत्रण
माता मूर्ति मेले से एक दिन पूर्व शनिवार को क्षेत्रपाल माणा गांव के क्षेत्रपाल घंटाकर्ण भगवान और माणा वासियों ने बद्रीनाथ धाम पहुंचकर भगवान बदरी विशाल की विशेष पूजा अर्चना कर भगवान बदरी विशाल को माता मूर्ति मेले के अवसर पर पधारने का निमंत्रण दिया था। जिसके बाद भगवान नारायण ने यह निमंत्रण सहर्ष स्वीकार करते हुए रविवार को माणा गांव पहुंचकर अपनी मां मूर्ति देवी से भेंट की और ग्रामीणों को आशीर्वाद दिया।