Edited By Vandana Khosla, Updated: 28 Oct, 2024 10:56 AM
उधम सिंह नगर: उत्तराखंड के जनपद उधम सिंह नगर के खटीमा में किसान खुलेआम अपने खेतों में पराली जलाकर वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके चलते किसान राज्य सरकार के खेतों में पराली ना जलाने के नियमों का उल्लंघन कर रहा हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन के...
उधम सिंह नगर: उत्तराखंड के जनपद उधम सिंह नगर के खटीमा में किसान खुलेआम अपने खेतों में पराली जलाकर वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके चलते किसान राज्य सरकार के खेतों में पराली ना जलाने के नियमों का उल्लंघन कर रहा हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन के द्वारा किसानों के पराली जलाने को रोकथाम हेतु ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है।
गौरतलब है कि वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे की मुख्य वजह वायु प्रदूषण को माना गया है। पिछले कुछ समय में पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश,हरियाणा,उत्तराखंड सहित कई राज्यों में खेतों में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण रोकथाम हेतु इस पर रोक लगा दी गई है। उत्तराखंड सरकार द्वारा भी पूर्व में वायु प्रदूषण रोकथाम हेतु खेतों में पराली जलाने को प्रतिबंधित किया गया था। लेकिन सरकार के नियमों के बावजूद भी उधम सिंह नगर जिले के खटीमा तहसील क्षेत्र के कई ग्रामीण इलाकों में किसान इन दिनों दिन दहाड़े अपने खेतों की पराली में आग लगा लगातार वायु प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं। खटीमा के जमौर,बरी अंजनिया इलाके सहित कई क्षेत्रों में खेतों में पराली जलाकर काश्तकार वायु प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे है। इसके चलते पूरे इलाके में धुंध फैली हुई है। इसमें अस्थमा रोगियों को सांस लेने में परेशानी सहित आंखों में जलन और अन्य कई परेशानियों का आमजन को सामना करना पड़ रहा है। इस सबके बावजूद भी स्थानीय प्रशासन वर्तमान में मूकदर्शक बना दिख रहा है।
खटीमा एसडीएम रविंद्र बिष्ट ने जानकारी दी है कि खेतों में पराली जलाने को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही उन्होंने कहा की अगर किसी इलाके में किसानों द्वारा पराली जलाई जा रही है, तो इसकी जांच कर उसे रोका जाएगा। इसके साथ ही पराली जलाने के रोकथाम हेतु राजस्व कर्मियों सहित पुलिस प्रशासन की भी मदद ली जाएगी। बता दें कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ धुंध फैलती है। इससे वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसें कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और मेथेन (CH4) निकलती हैं। जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती हैं। साथ ही खेतों में उर्वरा शक्ति भी इस कारण खत्म होती है।