Edited By Vandana Khosla, Updated: 07 Sep, 2024 12:24 PM
टिहरीः उत्तराखंड का सीमांत गांव गंगी अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पौराणिक मेले और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। वहीं गंगी गांव का भेड़ कौथिग आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसी बीच गंगी गांव में भव्य भेड़ कौथिग का आयोजन किया गया। इसमें...
टिहरीः उत्तराखंड का सीमांत गांव गंगी अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पौराणिक मेले और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। वहीं गंगी गांव का भेड़ कौथिग आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसी बीच गंगी गांव में भव्य भेड़ कौथिग का आयोजन किया गया। इसमें ग्रामीणों ने इष्ट देव सोमेश्वर महादेव मंदिर के चारों ओर भेड़ बकरियों की परिक्रमा करवा के सुख समृद्धि की कामना की।
जानकारी के अनुसार टिहरी जिले के सीमांत गांव गंगी में भेड़ कौथिग का आयोजन किया गया। पौराणिक काल से चले आ रहे इस मेले में साल भर बुग्याल और जंगलों में भेड़ बकरियों के साथ रहने के बाद सही सलामत सुरक्षित घर लौटने का जश्न मनाया जाता है। इसी के साथ ग्रामीण अपने आराध्य देव सोमेश्वर देवता के मंदिर में भेड़ कौथिग का आयोजन करते है। इस दौरान हजारों की संख्या में भेड़ बकरियों की टोलियां सोमेश्वर देवता के प्राचीन मंदिर के चारों ओर दौड़ लगाती हैं। जिसका सुंदर और रोमांचकारी दृश्य आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
पौराणिक मान्यता है कि सोमेश्वर देवता सीमांत गांव गंगी सहित उत्तरकाशी और टिहरी जिले के सीमांत गांवों के पशुपालकों के आराध्य देव हैं। जो कि साल भर जंगलों में पशुओं के साथ-साथ पशुपालकों की रक्षा भी करते हैं। इसी के साथ आराध्य देव सीमांत गांव की जनता की खुशहाली और दैवीय आपदाओं से भी रक्षा करते हैं। साथ ही ग्रामीणों को अच्छी खेती का आशीर्वाद देते हैं।
वहीं ग्रामीण सदियों से हर तीसरे व पांचवें साल भेड़ कौथिग का आयोजन कर इसमें शिरकत करते हैं और सोमेश्वर देवता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जहां साल भर पशुपालक जंगलों और बुग्यालों में अपनी भेड़ बकरियों के साथ घूमते रहते हैं। ऐसे में अपने आराध्य देवता सोमेश्वर के प्रति उनका विश्वास उन्हें हर पल एक शक्ति प्रदान करता है। वहीं ग्रामीणों की ओर से ये सिलसिला सैकड़ों सालों से चला आ रहा है।