"भागीरथी नदी में हो रहे प्रदूषण की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन करें", HC ने राज्य सरकार को दिए निर्देश

Edited By Vandana Khosla, Updated: 01 Mar, 2025 12:50 PM

form a 3 member committee to investigate the pollution in bhagirathi river

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बद्रीनाथ में निर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से पवित्र पावन भागीरथी नदी में हो रहे प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को इस मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाने के...

 नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बद्रीनाथ में निर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से पवित्र पावन भागीरथी नदी में हो रहे प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को इस मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाने के निर्देश सरकार को दिए हैं। कमेटी छह महीने में रिपोर्ट पेश करेगी।

वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की युगलपीठ में डिंपल दुबे एवं अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार की ओर से बद्रीनाथ में एसटीपी संयंत्र का निर्माण किया गया है। इस संयंत्र से सीवर का उपचारित पानी नजदीक बह रही भागीरथी नदी को प्रदूषित कर रहा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इस ट्रीटमेंट प्लांट की दीवार भी ढह गई है। इसे प्रस्तावित स्थान से हट कर बनाया गया है। यह चारधाम यात्रा सीजन के लिहाज से उचित नहीं है।

वहीं, दूसरी ओर जल संस्थान की ओर से कहा गया कि याचिका में लगाए गए आरोप गलत हैं। भागीरथी नदी में कोई प्रदूषण नहीं फैल रहा है। इसी से जुड़ा मामला राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) दिल्ली में भी लंबित है। इस प्रकरण में चमोली के जिलाधिकारी की ओर से वर्ष 2024 में एक जवाबी हलफनामा देकर कहा गया है कि एसटीपी संयंत्र से कोई लीकेज नहीं है और न ही इससे कोई प्रदूषण फैल रहा है। यह भी कहा गया कि एसटीपी संयंत्र की क्षमता 0.26 एमएलडी है और यात्रा सीजन में भी कोई परेशानी नहीं होगी।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने पेयजल सचिव को निर्देश दिये कि इस मामले की जांच के लिए अपर सचिव स्तर के अधिकारी की अगुवाई में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करे। कमेटी में प्रदूषण निंयत्रण बोर्ड (पीसीबी) के साथ ही अल्मोड़ा के गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान से नामित एक-एक सदस्य शामिल होंगे। कमेटी को छह महीने के अंदर निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।
 

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