"उत्तराखंड में मदरसों को सील करना नाइंसाफी", मौलाना शहाबुद्दीन ने राज्य सरकार के अभियान की निंदा की

Edited By Vandana Khosla, Updated: 15 Apr, 2025 08:37 AM

sealing madrassas in uttarakhand is injustice  maulana shahabuddin

Uttarakhand desk: उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में संचालित मदरसों के खिलाफ राज्य सरकार का अभियान लगातार जारी है। इसी बीच मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेली का एक बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने इस अभियान की कड़े शब्दों में निंदा की है। मौलाना...

Uttarakhand desk: उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में संचालित मदरसों के खिलाफ राज्य सरकार का अभियान लगातार जारी है। इसी बीच मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेली का एक बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने इस अभियान की कड़े शब्दों में निंदा की है। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि उत्तराखंड में मदरसों को सील करना सरासर नाइंसाफी है।

"13 मदरसों को बंद करने का आदेश देना सरासर इंसाफ का गला घोटना"
मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि ये वही मदरसे है जिन्होंने 1857 से लेकर 1947 तक की जंगे आजादी में भूमिका निभाई है। मौलाना ने कहा कि जिन मदरसों ने देश को आजाद कराने में कुर्बानियां दी। साम्प्रदायिक ताकतें उन्हीं मदरसों के खिलाफ बुल्डोजर की कार्रवाई कर रही है। उन्होंने मांग की है कि हल्द्वानी में सील किए गए 13 मदरसों को फौरी तौर पर खोला जाएं। अगर इन मदरसों में कागजात की कमी या बेहतर अंदाज में शिक्षा नहीं हो रही है, तो उसको दुरुस्त कराया जा सकता है। मगर 13 मदरसों को बंद करने का आदेश देना सरासर इंसाफ का गला घोटना है।
     
"मदरसों को मान्यता देने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है"
मौलाना ने प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जिन मदरसों को बगैर पंजीकरण के संचालन का आरोपी बनाया है, वो पहले से ही सोसाइटी एक्ट 1860 तहत पंजीकरण है। मान्यता देने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। करप्शन और मोटी रकम मांगने की वजह से मदरसा संचालक मजबूत पैरवी नहीं कर पाते हैं।

"संविधान ने अल्पसंख्यकों को अपनी संस्थाएं खोलने के लिए खुली इजाजत दी है"
मौलाना ने कहा कि संविधान ने अल्पसंख्यकों को अपनी संस्थाएं खोलने, संचालन करने, शिक्षा देने के लिए खुली इजाजत दी है। अब ऐसी सूरत में मध्यप्रदेश मदरसे पर बुलडोजर चलाना, उत्तराखंड सरकार का मदरसों को बंद करना संविधान के विरुद्ध कदम है। मध्यप्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार अगर इसी तरह अल्पसंख्यकों के संस्थानों के खिलाफ कार्य करती रहेगी, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा दिए गए नारे सबका साथ , सबका विकास, सबका विश्वास पर भरोसा कायम करना बहुत मुश्किल हो जाएंगे। 

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