Edited By Nitika, Updated: 23 May, 2023 08:59 AM

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में मानव वन्य जीव संघर्ष पर रोकथाम को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गंभीर रूख अख्तियार करते हुए सरकार को प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिए एक और मौका देते हुए वन एवं पर्यावरण सचिव आर के सुधांशु को अदालत में...
नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में मानव वन्य जीव संघर्ष पर रोकथाम को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गंभीर रूख अख्तियार करते हुए सरकार को प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिए एक और मौका देते हुए वन एवं पर्यावरण सचिव आर के सुधांशु को अदालत में तलब किया।
देहरादून निवासी अनु पंत की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अदालत ने पिछले साल 21 नवम्बर 22 को एक आदेश जारी कर सरकार को इस मामले में विशेषज्ञ कमेटी गठित करने और संवेदनशील जगहों को चिह्नित करने के साथ ही सीसीटीवी कैमरा लगाने एवं उपयुक्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि सरकार की ओर से अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक विनोद सिंघल की ओर से जो जवाब पेश किया गया अदालत उससे संतुष्ट नजर नहीं आई। सरकार की ओर से जवाब पेश करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई।
वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि अदालत ने सरकार को अंतिम मौका देते हुए 14 जून तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही अगली तिथि पर वन एवं पर्यावरण सचिव आरके सुधांशु को भी अदालत में पेश होने को कहा है। याचिकाकर्ता की ओर से 2022 में एक याचिका दायर कर कहा गया कि प्रदेश में मानव वन्य जीव संघर्ष बढ़ रहा है। इन घटनाओं में सैकड़ों लोगों की जान जा रही है। इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार उपयुक्त कदम नहीं उठा रही है।