रुद्रप्रयाग के भौंसारी में नंगे बिहड़ पथरीले पहाड़ पर बना मिश्रित वन, पर्यावरण प्रेमियों के एक समूह ने ग्रामीणों के साथ मिलकर उठाए कुछ खास कदम

Edited By Nitika, Updated: 23 Jul, 2024 11:57 AM

a mixed forest was formed on a mountain in bhaunsari of rudraprayag

रुद्रप्रयागः उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के भौंसारी में जहां दूर-दूर तक नंगे, बिहड़ पथरीले पहाड़ पर एक पेड़ भी नहीं था, वहां आज पर्यावरण प्रेमियों के एक समूह ने ग्रामीणों के साथ मिलकर मिश्रित जंगल के सपने को मूर्त रूप दिया है। इस अभिनव पहल से भविष्य में...

रुद्रप्रयागः उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के भौंसारी में जहां दूर-दूर तक नंगे, बिहड़ पथरीले पहाड़ पर एक पेड़ भी नहीं था, वहां आज पर्यावरण प्रेमियों के एक समूह ने ग्रामीणों के साथ मिलकर मिश्रित जंगल के सपने को मूर्त रूप दिया है। इस अभिनव पहल से भविष्य में होने वाली पेयजल किल्लत से निजात पाने की उम्मीद भी जगी है।

जानकारी के अनुसार, रुद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के तल्लानागपुर के भौंसारी का क्षेत्र पेड़ विहीन है। इस पूरे पहाड़ पर एक भी पेड़ नहीं था, जबकि भौंसारी गदेरे पानी से करीब इस क्षेत्र के एक दर्जन गांवों की पेयजल आपूर्ति होती थी, किन्तु कुछ वर्षों से गर्मियों के समय में यहां का पानी भी सूख जाता था। ऐसे में पर्यावरण प्रेमी सतेन्द्र भण्डारी, रमेश पहाड़ी, सुभाष पुरोहित और सुबोध कुंजवाल ने वर्ष 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के मार्गदर्शन में इस नंगे पहाड़ को मिश्रित वन में तब्दील करने की मुहिम शुरू की। ग्रामीण महिलाओं की समितियां बनाकर बांज, बुरांश, देवदार, पैंय्या के पौधे रोपे गए।

इस मामले में पर्यावरण प्रेमी सतेन्द्र भण्डारी ने बताया कि भौंसारी वाटर शेड फाउण्डेशन के तहत ढौंडिक, आगर, क्वीली, कुरझण मदोला, कोठगी भटवाड़ी के गांवों की महिलाओं द्वारा हर वर्ष यहां पौधे रोपे जाते हैं। समितियों को दो-दो महिलाओं को रोपे गए पौधों की देख रेख और उनके संरक्षण की जिम्मेदारी भी दी गई है। इसके लिए महिलाओं को अल्प मानदेय भी दिया जाता है। पिछले पांच वर्षों में इस पूरे क्षेत्र में 17 हजार पौधे लगाए गए हैं, जिसमें 13 हजार करीब बांज के पेड़ हैं। इस वर्ष भी फाउण्डेशन द्वारा 5 हजार पौध लगाने का लक्ष्य रखा है। महिलाओं द्वारा निरंतर देख-रेख का ही नतीजा है कि आज ये पौधे पेड़ का आकार लेने लगे हैं और करीब 6 से 8 फीट तक बढ़ चुके हैं।

जानिए पर्यावरण प्रेमी सुमित्रा देवी व मनीषा देवी ने क्या कहा
इसी के साथ पर्यावरण प्रेमी सुमित्रा देवी व मनीषा देवी ने बताया कि भौंसारी क्षेत्र के अगल-बगल और निचले गांवों में गर्मियों के समय पेयजल का भारी संकट बना रहता है। इस पहाड़ में कोई पेड़ ना होने के कारण इस क्षेत्र के प्राकृतिक जल स्रोत भी ग्रीष्मकाल में सूख जाते हैं। भविष्य में यह समस्या और विकराल रूप धारण न करें, इसके लिए इस निर्जन बिहड़  पथरीली पहाड़ी पर मिश्रित वन हरियाली उगाने के साथ-साथ यहां करीब 12 सौ चाल-खाल और खंतियां बनाई गई हैं ताकि वर्षा जल का संग्रहण भी हो सके।

अन्य पर्यावरण प्रेमियों ने कही ये बात 
वहीं अन्य पर्यावरण प्रेमियों सुषमा देवी, बिनीता देवी, सतेन्द्र भण्डारी ने कहा कि तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल आज प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव के पद पर तैनात होने के बावजूद भी लगातार भोसारी वाटर शेड फाउंडेशन के न केवल सम्पर्क में हैं बल्कि वे समय समय पर पौधों की प्रगति की जानकारी भी लेते हैं। पर्यावरण प्रेमियों और महिलाओं की यह अनूठी पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में न केवल मील का पत्थर साबित होगी बल्कि दर्जन भर गांवों में भविष्य में होने वाले पेयजल किल्लत से भी निजात दिलाएगा।

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