केदारनाथ यात्रा मार्ग में 951 घोड़े-खच्चर प्रतिबंधित, 3315 का परीक्षण, 1086 का किया उपचार

Edited By Nitika, Updated: 12 Jun, 2024 03:57 PM

951 horses and mules banned on kedarnath yatra route

उत्तराखंड में केदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग में संचालित घोड़े-खच्चरों के संचालन एवं संचालकों पर रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन की पैनी नजर है। घोड़े-खच्चरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए संचालन के लिए निर्धारित नियम एवं मानकों का पालन नहीं करने वाले...

 

देहरादूनः उत्तराखंड में केदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग में संचालित घोड़े-खच्चरों के संचालन एवं संचालकों पर रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन की पैनी नजर है। घोड़े-खच्चरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए संचालन के लिए निर्धारित नियम एवं मानकों का पालन नहीं करने वाले 951 घोड़े-खच्चरों को पिछले 32 दिन में प्रतिबंधित किया गया है। प्रशासन ने जबकि 3315 घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। साथ ही, 1086 घोड़े-खच्चरों का उपचार किया गया। इनमें 93 घोड़े अनुपयुक्त पाए जाने पर उन्हें यात्रा संचालन से बाहर कर दिया गया है। इसके अलावा, नियमों के उल्लंघन पर अब तक छह घोड़े-खच्चर संचालकों पर मामला भी दर्ज किया गया है।

उल्लेखनीय है कि केदारनाथ धाम यात्रा के सफल एवं सुगम संचालन में घोड़े-खच्चरों की भूमिका अहम है। देश-विदेश से यात्रा पर आने वाले कई श्रद्धालु, जो धाम के कठिन पैदल यात्रा मार्ग पर चलने में अक्षम है, उनकी यात्रा संपन्न कराने में घोड़े-खच्चर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ इन बेजुबान जानवरों के संरक्षण एवं सुविधाओं का जिम्मा भी जिला प्रशासन के पास है। ऐसे में घोड़े खच्चर संचालन एवं संचालकों के लिए शासन के आदेशों के क्रम में सख्त एसओपी तैयार की गई है, जिसका अनुपालन करवाने के लिए पशुपालन विभाग सहित प्रशासन की पूरी मशीनरी हर दिन 24 घंटे कार्य कर रही है। शासन द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में इस वर्ष करीब 8300 घोड़े-खच्चर ही पंजीकृत किए गए हैं। घोड़ा-खच्चरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए रोटेशन के आधार पर एक दिन में 4000 घोड़े- खच्चर ही यात्रा मार्ग पर संचालित किए जा रहे हैं। हर घोड़े को एक दिन का आराम मिलने के बाद दूसरे दिन संचालन की अनुमति है। इसके अलावा निर्माण सामग्री, ट्रांसपोर्ट के लिए करीब 1000 घोड़े-खच्चर पंजीकृत हैं। घोड़ा-खच्चर संचालन को व्यवस्थित करने के लिए इस वर्ष जिला प्रशासन ने कई नए कदम भी उठाए हैं।

यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की लीद से निजात दिलाने के लिए त्रिजुगी नारायण मार्ग पर निर्माणाधीन 30 टन प्रतिदिन शोधन की क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जून के तीसरे हफ्ते में संचालित होना शुरू हो जाएगा। वहीं अवैध रूप से घोड़े- खच्चर संचालन पर रोक लगाने के लिए तीन चरण में उनकी पहचान सुनिश्चित की जा रही है। पहले चरण में बीमा के दौरान कान में एयर टैग लगाया जा रहा है, दूसरे चरण में हर घोड़े को एक आरएफ आईडी जारी की जाती है, वहीं इस वर्ष छोटा सा लो फ्रीक्वेंसी इंफ्रारेड डिवाइस घोड़ों मे इंजेक्ट किया जा रहा है। जिसके माध्यम से हर पशु की पहचान तो हो ही रही है जबकि उसकी पूरी ट्रैकिंग भी की जा रही है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि यात्रा मार्ग पर स्वस्थ घोड़े-खच्चर ही संचालित हो इसकी तैयारी यात्रा शुरू होने से पूर्व ही विभाग ने कर ली थी। विभिन्न गांव एवं कस्बों में जाकर घोड़े- खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया जिसके आधार पर डॉक्टरों द्वारा जारी फिटनेस सर्टिफिकेट के आधार पर ही यात्रा के लिए पंजीकरण किया गया है। यही कारण है कि इस वर्ष बेहद फिट घोड़े ही यात्रा मार्ग पर संचालित हो रहे हैं। यह फिटनेस सर्टिफिकेट मात्र दो महीने के लिए मान्य होगा, दो महीने बाद दोबारा परीक्षण करवा कर फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा।

डॉ. रावत ने बताया कि कालीमठ रोड स्थित कोटमा गांव में पशुपालन विभाग की भूमि पर करीब 200 घोड़े- खच्चरों की क्षमता वाला आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल प्रस्तावित है, जिसका निर्माण कार्य जल्द शुरू होने जा रहा है। वहीं फाटा में मौजूद पशु अस्पताल में वर्तमान समय में एक समय में करीब 40 घोड़े-खच्चरों का इलाज करने की क्षमता है। यात्रा मार्ग पर घायल या बीमार होने वाले घोड़े- खच्चरों को म्यूल टास्क फोर्स एवं पर्यावरण मित्र रेस्क्यू कर गौरीकुंड तक लेकर आते हैं, जिसके बाद विभाग के रेस्क्यू वाहन में इन्हें फाटा अस्पताल में पहुंचा कर इलाज दिया जाता है। घोड़े-खच्चरों को केदारनाथ यात्रा मार्ग की कठिन परिस्थितियों एवं ठंडे मौसम में सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन ने गर्म पानी की 14 चरियां हर एक किलोमीटर की औसतन दूरी पर बनाई हैं, जिसमें से गौरीकुंड गेट के समीप एक चरि में 24 घंटे गर्म पानी उपलब्ध रहता है। मार्ग पर भीमबलि, जंगलचट्टी, रुद्रा पॉइंट एवं लिंचोली में 05 नई चरियां बनाई जा रही हैं, जिनमें 24 घण्टे गर्म पानी उपलब्ध रहेगा। जिला प्रशासन द्वारा विशेष पहल करते हुए घोड़े- खच्चरों एवं उनके संचालक दोनों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न स्थानों पर नए-नए शेड एवं डॉरमेट्री निर्माण करवाए हैं।

डॉ. रावत ने बताया कि त्रिजुगी नारायण मार्ग पर करीब 300 घोड़े- खच्चरों की क्षमता वाला एक विश्राम शेड तैयार हो चुका है, जबकि गौरीकुंड मार्ग पर में करीब 250 घोड़े- खच्चरों की क्षमता वाला शेड तैयार है। दोनों शेड के साथ घोड़े-खच्चरों के संचालकों के लिए डॉरमेट्री का निर्माण किया जा रहा है जहां हॉकर विश्राम कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त नाबार्ड के सहयोग से करीब 10 करोड़ की लागत से गौरीकुंड, लिंचोली एवं रुद्रा पॉइंट केदारनाथ में शेड एवं आधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्पताल एवं आवासीय परिसर निर्माणाधीन है।

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