Edited By Vandana Khosla, Updated: 12 Mar, 2025 09:20 AM

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी दंगा के 22 और आरोपियों को मंगलवार को राहत देते हुए डिफॉल्ट जमानत मंजूर कर ली। हल्द्वानी दंगा के आरोपियों भोला उर्फ सुहैल, जावेद सिद्दीकी, जावेद कुरेशी, शाहनवाज, रहीस अहमद अंसारी, अब्दुल माजिद, सहित अन्य...
नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी दंगा के 22 और आरोपियों को मंगलवार को राहत देते हुए डिफॉल्ट जमानत मंजूर कर ली। हल्द्वानी दंगा के आरोपियों भोला उर्फ सुहैल, जावेद सिद्दीकी, जावेद कुरेशी, शाहनवाज, रहीस अहमद अंसारी, अब्दुल माजिद, सहित अन्य 18 आरोपियों की अपील पर वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में विगत सात मार्च को सुनवाई हुई। खंडपीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
वहीं, मंगलवार को निर्णय जारी करते हुए सभी की जमानत मंजूर कर ली। सभी आरोपियों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के साथ ही हल्द्वानी कोतवाली में संगीन धाराओं में मामला दर्ज हैं। सभी आरोपी पिछले साल फरवरी से जेल में बंद हैं। यूएपीए अदालत (निचली अदालत) ने आरोपियों की जमानत नामंजूर कर दी थी। इसके बाद आरोपियों की ओर से उच्च न्यायालय में अपील दायर की गई। आरोपियों की ओर से कहा गया कि सरकार उनके खिलाफ यूएपीए अदालत में तय समय पर आरोप पत्र दाखिल करने में असफल रही है। अदालत ने सरकार को आरोप पत्र दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दे दिया और उनकी जमानत नामंजूर कर दी। इसलिए वे डिफ़ाल्ट बेल के हकदार हैं। अदालत इसी मामले में 50 आरोपियों की इससे पहले डिफ़ाल्ट बेल मंजूर कर चुकी है।
आरोपियों के अधिवक्ता सी के शर्मा के अनुसार खंडपीठ ने उसी आधार पर इन आरोपियों को भी जमानत दे दी। यहां बता दें कि यूएपीए के तहत प्रावधान है कि पुलिस को 90 दिन के अंदर आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करना आवश्यक है अन्यथा आरोपी डिफ़ाल्ट बेल के हकदार हो जाते हैं। गौरतलब है कि पिछले साल आठ फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के दौरान एक समुदाय के लोगों ने पुलिस और प्रशासन की टीम पर हमला बोल दिया था। इस दौरान फायरिंग, आगजनी और अन्य घटनाओं को अंजाम दिया गया। दंगा में पांच लोगों की मौत हो गई थी।