बारिश के पैटर्न में बदलाव या कुछ और...विशेषज्ञों ने बताया उत्तराखंड में क्यों हो रहे हैं इतने लैंडस्लाइड?

Edited By Ramanjot, Updated: 18 Sep, 2024 03:55 PM

experts told why so many landslides are happening in uttarakhand

अल्मोड़ा स्थित जी बी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ. सुनील नौटियाल ने कहा, ‘‘मौसम परिवर्तन के कई कारकों के कारण बारिश के तरीके में बदलाव और नाजुक हिमालयी क्षेत्र की घटती सहन क्षमता के कारण इस मानसून में अधिक भूस्खलन हुआ है।'...

पिथौरागढ़: विशेषज्ञों ने कहा है कि उत्तराखंड में हाल के वर्षों में व्यापक वर्षा का अभाव, इसका बिखरा हुआ होना तथा एक स्थान तक सीमित रहना, इस मानसून में प्रदेश में भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारण उभर कर सामने आया है। 

हिमालयी क्षेत्र में बारिश के तरीके में भी आया बदलाव
अल्मोड़ा स्थित जी बी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ. सुनील नौटियाल ने कहा, ‘‘मौसम परिवर्तन के कई कारकों के कारण बारिश के तरीके में बदलाव और नाजुक हिमालयी क्षेत्र की घटती सहन क्षमता के कारण इस मानसून में अधिक भूस्खलन हुआ है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस साल व्यापक बारिश केवल 13 से 15 सितंबर के बीच ही हुई है, अन्यथा पूरे मानसून यह स्थानीय स्तरों पर ही होती रही।' उत्तराखंड में मौसम विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस साल 13 से 15 सितंबर के बीच तीन दिनों में औसतन 102 मिमी बारिश हुई जो व्यापक रूप से हुई। नौटियाल ने कहा, 'इसके अलावा, हिमालयी क्षेत्र में बारिश के तरीके में भी बदलाव आया है। अब अचानक से बारिश होने लगती है और जून एवं जुलाई के महीने में होने वाली बारिश सितंबर के मध्य में हो रही है।' उन्होंने बताया कि कई कारकों के कारण मध्य हिमालयी क्षेत्र की बढ़ती भंगुरता और बारिश के तरीके में बदलाव का उनके संस्थान में अध्ययन किया जा रहा है। 

नौटियाल ने इस संबंध में अन्य संस्थानों के एक साथ मिलकर इस पर अध्ययन करने की जरूरत बताते हुए कहा कि केवल एक संस्थान के इस दिशा में किए जा रहे प्रयास काफी नहीं होंगे। नौटियाल ने कहा, 'जंगलों में लगने वाली आग भी एक कारण है जिससे इस मानसून में औसत से अधिक भूस्खलन हुआ है। वनाग्नि से जड़ी-बूटियां और घास जल जाती हैं जिससे मिट्टी की परत कमजोर हो जाती है और जल प्रवाह को रोकने में विफल हो जाती है। इससे भूस्खलन हो जाता है।' उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र की गिरती स्थानीय पारिस्थतिकी के कारण भी मानसून की बारिश टुकड़ों में हो रही है। नौटियाल ने कहा, 'गढ़वाल क्षेत्र में जड़धार जंगल और कुमांउ में शीतलाखेत जंगल जैसे हमारे पास कई स्थान हैं जहां स्थानीय पारिस्थितिकी उनके आसपास मौजूद घने जंगलों के कारण अब भी बनी हुई है जो मानसून में जल्दी और ज्यादा बारिश होने में योगदान देती है।' 

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