उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश की नई आबकारी नीति को दी मंजूरी, धार्मिक क्षेत्रों के पास स्थित शराब की दुकानें होंगी बंद

Edited By Vandana Khosla, Updated: 04 Mar, 2025 09:48 AM

uttarakhand government approved the new excise policy of the state

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को प्रदेश की नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी। जिसमें अगले वित्तीय वर्ष के लिए 5,060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित करते हुए धार्मिक क्षेत्रों के पास शराब की दुकानों को बंद करने, उप-दुकानों और मेट्रो मदिरा...

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को प्रदेश की नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी। जिसमें अगले वित्तीय वर्ष के लिए 5,060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित करते हुए धार्मिक क्षेत्रों के पास शराब की दुकानों को बंद करने, उप-दुकानों और मेट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त करने तथा शराब की अधिक कीमत वसूलने पर लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान किया गया है।

अधिकारियों ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति को मंजूरी दी गई है। पिछले दो वर्षों में प्रदेश में आबकारी राजस्व में हुई वृद्धि को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5,060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 4038.69 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया। जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4,439 करोड़ रुपये के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक लगभग 4,000 करोड़ रुपये की प्राप्ति हो चुकी है। नीति में धार्मिक स्थानों के पास शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया गया है तथा उप-दुकानों (दुकानों के लाइसेंस धारकों द्वारा दूसरे व्यक्ति को अपनी दुकान चलाने के लिए देने) तथा मैट्रो मदिरा बिक्री की व्यवस्था को समाप्त किया गया है। नई आबकारी नीति में अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक कीमत वसूलने पर शराब की दुकान का लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान किया गया है। शराब बेचने वाले डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी अधिकतम खुदरा मूल्य ही लागू होगा।

राज्य की नई आबकारी नीति के तहत, थोक मदिरा अनुज्ञापन केवल उत्तराखंड के निवासियों को ही जारी किए जाएंगे, जिससे राज्य में आर्थिक अवसर बढ़ेंगे। इसके अलावा, पर्वतीय क्षेत्रों में राज्य में उत्पादित फलों से शराब बनाने वाली वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए निर्यात शुल्क में कटौती की गई है। नई नीति में शराब की दुकानों की आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया गया है। डिस्टिलरियों को स्थानीय कृषि उत्पादों को प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें नए बाजार उपलब्ध होंगे। आबकारी नीति-2025 में आमजन को मदिरा के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने का प्रावधान भी किया गया है।
 

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