Edited By Vandana Khosla, Updated: 29 Nov, 2024 02:36 PM
देहरादूनः उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर जहां सियासी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं, निर्वाचन आयोग के द्वारा निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के द्वारा प्रचार प्रसार में होने वाले खर्च को बढ़ाने का काम किया गया है। इस संबंध में राज्य निर्वाचन...
देहरादूनः उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर जहां सियासी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं, निर्वाचन आयोग के द्वारा निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के द्वारा प्रचार प्रसार में होने वाले खर्च को बढ़ाने का काम किया गया है। इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने आदेश जारी किया है। जिस पर सभी सियासी दल बढ़ती महंगाई को लेकर निर्वाचन आयोग के फैसले को बेहतर बता रहे हैं।
निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के लिए खर्च सीमा निर्धारित
उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है। साथ ही दिसंबर या जनवरी महीने में निकाय चुनाव संपन्न होने की संभावना बताई जा रही है। निकाय चुनाव में उम्मीदवारों को राहत देते हुए निर्वाचन आयोग द्वारा प्रचार प्रसार में होने वाले खर्च को बढ़ाया गया है। जिसकी प्रमुख वजह महंगाई को बताया गया है। निकाय चुनाव में किस पद के लिए कितना खर्चा बढ़ाया गया है, इसके बारे में सचिव राज्य निर्वाचन आयोग राहुल गोयल ने विस्तार में जानकारी दी है। राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया कि निकाय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए खर्च सीमा निर्धारित कर दी गई है।
सचिव राज्य निर्वाचन आयोग ने दी ये जानकारी
सचिव राहुल गोयल ने बताया कि नगर प्रमुख नगर निगम में 40 वार्डों के लिए 20 लाख रुपए, 41 से 60 वार्डों के लिए 25 लाख रुपए, 61 या फिर इससे अधिक वार्डों के लिए 30 लाख रुपए की चुनाव खर्च सीमा तय की गई है। वहीं, सदस्य नगर पालिका परिषद के लिए 80 हजार रुपए, नगर पंचायत में अध्यक्ष प्रत्याशी के लिए तीन लाख रुपए और सदस्य नगर पंचायत के लिए 50 हजार रुपये की चुनाव खर्च सीमा निर्धारित की गई है। उप नगर प्रमुख नगर निगम के लिए दो लाख रुपए और सभासद नगर निगम के लिए तीन लाख रुपए तय किए गए है। इसके साथ ही अध्यक्ष नगर पालिका परिषद में 10 वार्ड तक के लिए छह लाख रुपए और 10 से अधिक वार्डों के लिए आठ लाख रुपए खर्च तय किया गया है।
राजनीतिक दलों ने की आयोग के फैसले की सराहना
बता दें कि तमाम मुद्दों पर भले ही सियासी दल प्रदेश में एक राय न रखते हो, लेकिन जब महंगाई के बहाने को बनाकर निकाय चुनाव में उम्मीदवारों की प्रचार प्रसार की खर्च को बढ़ाया गया है, तो इस पर राज्य की मुख्य राजनीतिक दल सहमत नजर आ रहे हैं और आयोग के फैसले की सराहना कर रहे हैं।