Edited By Vandana Khosla, Updated: 22 Mar, 2025 08:20 AM

देहरादूनः उत्तराखंड के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने प्रेमचंद अग्रवाल के मंत्री पद से इस्तीफे को ‘नाकाफी' करार देते हुए शुक्रवार को विधानसभा की मौजूदा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश...
देहरादूनः उत्तराखंड के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने प्रेमचंद अग्रवाल के मंत्री पद से इस्तीफे को ‘नाकाफी' करार देते हुए शुक्रवार को विधानसभा की मौजूदा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के भी इस्तीफे की मांग की। कुंजवाल ने ऋतु और भट्ट पर स्वयं पहाड़ का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद पहाड़ के लोगों के प्रति निष्पक्ष नहीं रहने का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि जब अग्रवाल का मुद्दा उठाया जा रहा था, उस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने संवैधानिक पद पर होने के बावजूद सदन में एक राजनीतिक पार्टी की नेता की तरह पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी की बेटी और कोटद्वार से विधायक हैं। कुंजवाल ने यहां एक संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, “ विधानसभा अध्यक्ष को तटस्थ रहना चाहिए लेकिन उनका (ऋतु खंडूरी) आचरण स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण था। उन्हें अग्रवाल से तुरंत अपने शब्द वापस लेने और उन्हें सदन की कार्यवाही से निकलने के लिए कहना चाहिए था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। लखपत सिंह बुटोला (बदरीनाथ से कांग्रेस विधायक) के साथ भी उनका व्यवहार उचित नहीं था। क्योंकि वह अग्रवाल द्वारा कही गई बातों पर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखना चाहते थे।”
इस दौरान राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी मौजूद थे। बाजपुर से विधायक आर्य भी पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। जब बुटोला, अग्रवाल की कथित ‘असंसदीय' टिप्पणी पर बोल रहे थे तब अध्यक्ष ने उनसे कहा कि वह अपनी बात पहले ही कह चुके हैं और अब वह अपने स्थान पर बैठ जाएं लेकिन बुटोला ने बोलना जारी रखा और कहा कि पहाड़ी लोगों के अपमान को हल्के में नहीं लिया जा सकता, जिसपर विधानसभा अध्यक्ष ने उनसे कहा कि अगर वे चाहते हैं तो बाहर जा सकते हैं। इसके तुरंत बाद बुटोला वहां से चले गए।
कुंजवाल ने कहा, “अग्रवाल ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र भट्ट को भी इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए क्योंकि वे स्वयं पहाड़ी क्षेत्र से होने के बावजूद पहाड़ी लोगों के प्रति निष्पक्ष नहीं रहे।” कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर उनका (ऋतु और भट्ट का) इस्तीफा नहीं लिया गया तो इससे पहाड़ी और मैदानी इलाकों के बीच दरार पैदा करने की भाजपा की विभाजनकारी नीति की ही पुष्टि होगी। भट्ट ने अग्रवाल के इस्तीफे की मांग को लेकर पहाड़ में आंदोलनरत लोगों को ‘सड़क छाप' कहा था। प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार में वित्त, शहरी विकास और संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे अग्रवाल ने हाल में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कथित ‘असंसदीय' टिप्पणी के कारण उपजे ‘पहाड़-मैदान' विवाद के बाद इस्तीफा दे दिया था।