Edited By Vandana Khosla, Updated: 28 Jan, 2025 11:27 AM
देहरादूनः उत्तराखंड सरकार द्वारा सोमवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किए जाने पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह ना तो व्यावहारिक है, ना ही संवैधानिक क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार जिस...
देहरादूनः उत्तराखंड सरकार द्वारा सोमवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किए जाने पर कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह ना तो व्यावहारिक है, ना ही संवैधानिक क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार जिस नागरिक संहिता की बात कही गई है। यह उससे काफी भिन्न है।
पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में माहरा ने कहा कि अनुच्छेद 44 ऐसे यूसीसी की कल्पना करता है, जो पूरे देश में लागू हो, ना कि किसी राज्य विशेष तक सीमित रहे। उत्तराखंड में यूसीसी कभी भी सार्वजनिक मांग का हिस्सा नहीं रहा। यह सामाजिक आवश्यकता से अधिक राजनीतिक पैंतरेबाजी के रूप में लाया गया प्रतीत होता है। इस कानून में सबसे आपत्तिजनक लिव इन रिलेशन के बारे में लाए गए प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इस कानून में धारा 378 से 389 तक कुल 12 धाराएं हैं और यह धाराएं देवभूमि की संस्कृति के खिलाफ हैं। माहरा ने कहा कि कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को विवाह पूर्व संबंधों के लिए मानता नहीं दे सकते। यह कानून अवैध संबंधों को संरक्षण प्रदान करता है, जिस पर हमें घोर आपत्ति है। इस कानून का एक विवादास्पद प्रावधान यह भी है कि उत्तराखंड में सिर्फ एक वर्ष तक रहने वाले व्यक्तियों को राज्य का निवासी माना जाएगा। यह खंड सीधे तौर पर विभिन्न संगठनों की लंबे समय से चली आ रही मांगों का खंडन करता है, जो मूल निवासियों के लिए 1950 को कट ऑफ वर्ष के रूप में मान्यता देने की वकालत कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माहरा ने कहा कि सरकार जिस भी राज्य और समाज के लिए कानून लाती है। संविधान के अनुसार, उसमें उसका पूरा पूरा प्रतिनिधित्व होना चाहिए। इसके विपरीत यूसीसी की समिति में केवल एक सदस्य ही उत्तराखंड के हैं। बाकी सदस्य बाहर के हैं। इससे आप समझ सकते हैं कि यह कानून कितना राज्य हित में बना होगा।