जेल में बंद आरोपी पिता को 30 साल सश्रम कारावास की सजा, अपनी ही बेटियों से करता था ये गंदी हरकतें; कि कांप उठे रूह

Edited By Vandana Khosla, Updated: 15 May, 2025 11:18 AM

the accused father in jail was sentenced to 30 years

देहरादूनः उत्तराखंड के चंपावत में एक पॉक्सो अदालत ने 45 वर्षीय व्यक्ति को अपनी दो नाबालिग बेटियों तथा एक नाबालिग बेटे के साथ दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए 30 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के...

देहरादूनः उत्तराखंड के चंपावत में एक पॉक्सो अदालत ने 45 वर्षीय व्यक्ति को अपनी दो नाबालिग बेटियों तथा एक नाबालिग बेटे के साथ दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए 30 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के मामलों के न्यायाधीश अनुज कुमार संगल ने मंगलवार को दोषी पर 1.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। दोषी नेपाल का नागरिक है।

आरोपी पिता अपनी ही बच्चियों का बार-बार करता रहा यौन उत्पीड़न
सरकारी अधिवक्ता विद्याधर जोशी ने बताया कि तीनों बच्चों को इस जुर्माना राशि में से चालीस-चालीस हजार रुपये दिए जाएंगे । अपने ही पिता के हाथों यौन उत्पीड़न का शिकार हुए तीनों बच्चों की उम्र 15, 13 और 10 साल है। पुत्र सबसे छोटा है । दोषी के अक्सर शराब पीकर घर लौटने और मार-पीट करने के कारण उसकी पत्नी उसे तथा बच्चों को छोड़ कर चली गई थी और वह अपने बच्चों के साथ अकेला रह रहा था । वह बार-बार उनका यौन उत्पीड़न करता रहा और उन्हें धमकी देता था कि इस बारे में किसी को बताने पर वह उन्हें जान से मार देगा । मामले का खुलासा तब हुआ जब पिता के अत्याचारों से बचने के लिए पुत्रियां घर से भाग गई।

घर से भागी बेटियों ने प्रभारी मंजू पांडेय को सुनाई अपनी आपबीती 
वहीं, दोनों बच्चियां पुलिस को बनबसा थाना क्षेत्र के एक इलाके में मिलीं । जब पुलिस ने बच्चियों को उनके घर ले जाने की कोशिश की तो उन्होंने यह कहते हुए घर जाने से इनकार कर दिया कि उनका पिता शराब के नशे में उनसे मार-पीट करता है। इसके बाद पुलिस ने उन्हें बच्चों के लिए बने एक आश्रय गृह में पहुंचा दिया । वहां रहने के दौरान, उन्होंने बनबसा इकाई की मानव तस्करी रोधी प्रकोष्ठ की प्रभारी मंजू पांडेय को अपनी आपबीती सुनाई।

जेल में बंद आरोपी पिता को 30 साल के सश्रम कारावास की सुनाई सजा
जोशी ने बताया कि इसके बाद व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया और उसके दस वर्षीय पुत्र को हरिद्वार के एक आश्रय गृह भेज दिया गया । सितंबर 2021 से अल्मोड़ा जेल में बंद व्यक्ति को पॉक्सो अदालत ने भारतीय दंड विधान और पॉक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत व्यक्ति को दोषी ठहराया है। 

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