Edited By Vandana Khosla, Updated: 30 Jul, 2025 09:28 AM

चमोलीः उत्तराखंड के चमोली में से दिल तोड़ने वाली खबर सामने आ रही है। जहां चमोली के गांव निवासी और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में तैनात सैनिक के डेढ़ साल के बेटे की मौत हुई है। बताया गया कि बेटे की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। इस दौरान परिजन उसे अस्पताल...
चमोलीः उत्तराखंड के चमोली में से दिल तोड़ने वाली खबर सामने आ रही है। जहां चमोली के गांव निवासी और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में तैनात सैनिक के डेढ़ साल के बेटे की मौत हुई है। बताया गया कि बेटे की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। इस दौरान परिजन उसे अस्पताल में लेकर गए। यहां इलाज नहीं मिल पाया। इसके बाद बीमार बच्चे को पांच घंटे में पांच अस्पतालों में आगे से आगे रेफर किया गया। इसी बीच मासूम की सांसे टूट गई है।
मिली जानकारी के अनुसार यह घटना चमोली जिले के चिडंगा गांव की है। जहां निवासी दिनेश चंद्र वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में तैनात है। घटना 10 जुलाई की बताई गई है। जब अचानक सैनिक के बेटे शुभांशु की तबीयत बिगड़ने लगी। सैनिक की मां और पत्नी मासूम को लेकर ग्वालदम अस्पताल पहुंचीं। जहां शुभांशु को इलाज नहीं मिल सका। वहां से बच्चे को कुमाऊं मंडल के बैजनाथ अस्पताल भेजा गया। जहां चिकित्सकों ने बच्चे को बागेश्वर के लिए रेफर कर दिया। बागेश्वर में बच्चे की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। ऐसे में चिकित्सकों ने उसे हल्द्वानी रेफर कर दिया। आरोप है कि 1 घंटा बीत जाने तक भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। जिस पर सैनिक पिता ने जिलाधिकारी को फोन कर मदद मांगी। डीएम के आदेश पर रात साढ़े नौ बजे एक एंबुलेंस तो मिली लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
वहीं, अल्मोड़ा से हल्द्वानी जाते समय शुभांशु की सांसे टूट गई। परिजनों का कहना है कि वह अपने घर के चिराग को सिस्टम की बेरुखी से नहीं बचा पाए। इस पूरे घटनाक्रम में फौजी फोन के माध्यम से परिवार के साथ जुड़ा हुआ था। बताया कि सैनिक जो देश की रक्षा के लिए सरहद पर तैनात है। वह अपने बेटे के इलाज के लिए दर-दर भटकता रहा। उसके बच्चे को किसी अस्पताल में सही इलाज नहीं मिल पाया। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में रेफर करते-करते लचर सरकारी स्वास्थ्य तंत्र ने कीमती समय गंवा दिया।
डॉ. कुमार आदित्य तिवारी, सीएमओ, बागेश्वर का कहना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से लगाए परिजनों के आरोपों की जांच की जाएगी। फिलहाल मामले में शिकायत नहीं दर्ज हुई है। इसके बाद पूरे मामले की गहनता से जांच होगी। मामले में दोषी पाए जाने पर किसी भी स्वास्थ्य कर्मी को छोड़ा नहीं जाएगा। संबंधित के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।