SC की समिति ने कॉर्बेट अवैध निर्माण के लिए पूर्व मंत्री हरक सिंह एवं DFO को ठहराया दोषी

Edited By Nitika, Updated: 26 Jan, 2023 04:03 PM

sc committee convicted former minister

उच्चतम न्यायालय की ‘सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी' (सीईसी) ने कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के कालागढ़ वन प्रभाग के पांखरो व मोरघट्टी वन क्षेत्र में 2021 में टाइगर सफारी के निर्माण सहित अन्य अवैध कार्यों के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन...

 

ऋषिकेशः उच्चतम न्यायालय की ‘सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी' (सीईसी) ने कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के कालागढ़ वन प्रभाग के पांखरो व मोरघट्टी वन क्षेत्र में 2021 में टाइगर सफारी के निर्माण सहित अन्य अवैध कार्यों के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशन चंद को दोषी ठहराया है।

अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की याचिका पर मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपनी रिपोर्ट में सीईसी ने कहा है कि पांखरो और मोरघट्टी वन क्षेत्र में टाइगर ​सफारी के निर्माण व अन्य अवैध कार्य के लिए रावत और किशन चंद दोषी हैं। समिति ने रिपोर्ट में किशन चंद द्वारा की गयी कथित उक्त गड़बड़ियों के लिए रावत को जिम्मेदार मानते हुए उनको उच्चतम न्यायालय का नोटिस जारी करने व सुनवाई का अवसर देकर उचित कार्यवाही का अनुमोदन किया है। इसने उक्त अवैध गड़बड़ियों में लिप्त वनाधिकारियों पर उत्तराखंड के सतर्कता विभाग को उनके विरुद्ध विधिसम्मत कार्यवाही जारी रखने का अनुमोदन भी किया है।

बाघ के प्राकृतवास में टाइगर सफारी बनाये जाने पर सख्त टिप्पणी करते हुए सीईसी ने कहा है कि सफारी का निर्माण बाघ के प्राकृतवासों से दूर किया जाना चाहिए। सीईसी ने अपनी रिपोर्ट के पृष्ठ 94 पर बहुत गंभीर तथ्य अंकित किया है और कहा है कि जब मीडिया में पांखरो व मोरघट्टी में तमाम तरह की गड़बड़ियों की खबरें आ रही थीं, तब भी तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक व राज्य सरकार ने दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करने में संकोच किया। उक्त गड़बड़ियों के आरोप में वन क्षेत्र के रेंजर बृज बिहारी शर्मा और तत्कालीन डीएफओ किशन चन्द को जेल भेजा जा चुका है जबकि तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक झबर सिंह सुहाग सेवानिवृत हो चुके हैं। सेवानिवृत्ति से पहले सुहाग को निलंबित भी किया गया था।

राज्य के कद्दावर नेताओं में शुमार हरक सिंह रावत पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में वन मंत्री थे। 2022 में ऐन विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए।
 

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