Edited By Vandana Khosla, Updated: 06 Dec, 2025 08:22 AM

देहरादूनः उत्तराखंड में पिछले 25 वर्षों में बाघों, तेंदुओं, भालुओं और अन्य जानवरों के हमलों में 900 से अधिक लोगों की जान गई है और यह स्थिति पर्वतीय राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष के खतरनाक स्तर को उजागर करती है। यह जानकारी सरकारी आंकड़ों से मिली है।
देहरादूनः उत्तराखंड में पिछले 25 वर्षों में बाघों, तेंदुओं, भालुओं और अन्य जानवरों के हमलों में 900 से अधिक लोगों की जान गई है और यह स्थिति पर्वतीय राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष के खतरनाक स्तर को उजागर करती है। यह जानकारी सरकारी आंकड़ों से मिली है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण 900 से अधिक लोगों की जान गई है, जिसमें तेंदुए के हमले में 548, हाथी के हमले में 230, बाघ के हमले में 106 और भालू के हमले में 70 लोग मारे गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि के दौरान राज्य में सर्पदंश से 260 लोगों की जान गई। इस बीच, तेंदुओं के हमलों में 2,127, भालू के हमलों में 2,013, हाथियों के हमलों में 234 और सांप के काटने से 1,056 लोग घायल हुए।
विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य के लगभग हर हिस्से में तेंदुए के हमले पूरे वर्ष देखे जाते हैं, जबकि भालू के हमले अक्टूबर और दिसंबर के बीच चरम पर होते हैं। उत्तराखंड सरकार ने घोषणा की है कि राज्य सरकार घायलों के इलाज का पूरा खर्च वहन करेगी तथा हमलों में मारे गए लोगों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देगी।