उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण के लिए आजीवन कारावास की होगी सजा, विधानसभा में संशोधन विधेयक पेश

Edited By Vandana Khosla, Updated: 20 Aug, 2025 12:27 PM

life imprisonment will be the punishment for forced conversion in uttarakhand

गैरसैंणः उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून को और कड़ा बनाने के लिए राज्य सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक पेश किया। नए संशोधन विधेयक में जबरन धर्मांतरण के लिए...

गैरसैंणः उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून को और कड़ा बनाने के लिए राज्य सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक पेश किया। नए संशोधन विधेयक में जबरन धर्मांतरण के लिए अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा और 10 लाख रुपए तक के भारी जुर्माने का प्रावधान है।

वर्तमान में इस अपराध के लिए उत्तराखंड में अधिकतम 10 साल कारावास की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है । विधेयक के तहत सामान्य मामले में तीन से 10 वर्ष, संवेदनशील वर्ग से जुड़े मामलों में पांच से 14 वर्ष तथा गंभीर मामलों में 20 वर्ष या आजीवन कारावास तक की सजा एवं भारी जुर्माने का प्रावधान है । संशोधन विधेयक में धोखाधड़ी, प्रलोभन या दबाव से कराए जाने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए प्रावधानों को पहले से और कड़ा कर दिया गया है। प्रलोभन की परिभाषा को विस्तृत किया गया है।

उपहार, नकद/वस्तु लाभ, रोजगार, निःशुल्क शिक्षा एवं विवाह का वादा, धार्मिक आस्था को आहत करना या दूसरे धर्म का महिमामंडन, सभी को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसमें सोशल मीडिया, ‘मैसेजिंग ऐप' या किसी भी ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण के लिए प्रचार करने या उकसाने जैसे कार्यों को दंडनीय बनाये जाने का प्रावधान है । प्रदेश में 2018 से लागू धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में दूसरी बार संशोधन के लिए विधेयक लाया गया है । अधिनियम में पहला संशोधन 2022 में किया गया था। जब पुष्कर सिंह धामी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद संभाला था। 

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