बागेश्वर में अवैध खड़िया खनन मामले में हाईकोर्ट सख्त, सरकार से 4 सप्ताह के अंदर मांगा जवाब

Edited By Ramanjot, Updated: 20 Sep, 2023 10:16 AM

high court strict in illegal chalk mining case in bageshwar

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से मंगलवार को अदालत को बताया गया कि सरकार अवैध खनन को लेकर उदासीन है। उच्च न्यायालय के आदेश पर हुई संयुक्त जांच में यहां अवैध खनन की...

नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर जिले के कांडा तहसील के दाप्ति में अवैध खड़िया खनन के मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को निर्देश दिए कि वह बताए कि अवैध खनन को लेकर लगाए गए जुर्माने की वसूली की गई है या नहीं और दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई है। कांडा निवासी बलवंत सिंह धामी की ओर से इस मामले को वर्ष 2020 में एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई। 

"सरकार अवैध खनन को लेकर उदासीन"
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से मंगलवार को अदालत को बताया गया कि सरकार अवैध खनन को लेकर उदासीन है। उच्च न्यायालय के आदेश पर हुई संयुक्त जांच में यहां अवैध खनन की पुष्टि हुई है। आरोपियों पर अर्थदंड भी लगाया गया है लेकिन अभी तक अर्थदंड की वसूली नहीं की गई है। न ही खनन कारोबारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में जवाब भी पेश नहीं किया गया है। 

अदालत ने चार सप्ताह में मांगा जवाब 
याचिकाकर्ता की ओर से वर्ष 2020 में दायर जनहित याचिका में कहा गया कि खनन कारोबारियों की ओर से आवंटित पट्टों के अलावा भी ग्रामीणों की भूमि पर अवैध ढंग से खनन किया जा रहा है। इससे गांव में नुकसान की आशंका बढ़ गई है। प्रदेश सरकार को इस मामले की शिकायत की गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अंत में अदालत ने चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।

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