Edited By Nitika, Updated: 26 Aug, 2024 10:19 AM
हल्द्वानीः उत्तराखंड में हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में कृष्ण वाटिका तैयार की गई है। इस वाटिका में भगवान कृष्ण से जुड़े पौधों का संरक्षण किया जा रहा है। जो कृष्ण वट के पुराने इतिहास को नया जीवन देने का काम कर रहे हैं।
हल्द्वानीः उत्तराखंड में हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में कृष्ण वाटिका तैयार की गई है। इस वाटिका में भगवान कृष्ण से जुड़े पौधों का संरक्षण किया जा रहा है। जो कृष्ण वट के पुराने इतिहास को नया जीवन देने का काम कर रहे हैं।
भगवान श्री कृष्ण वृंदावन में अपने बालकाल में आस पड़ोस के घरों से माखन चुराया करते थे। एक बार माखन की चोरी करने के बाद जब वह भाग रहे थे तो उनकी मां यशोदा ने उन्हें पकड़ लिया। यशोदा मैया की डांट से बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने माखन को एक पेड़ के पत्तों की कटोरी बनाकर छिपा दिया। मान्यता है कि तभी से उस पेड़ की पत्तियों का आकार कटोरी जैसा हो गया। तभी से ये पेड़ माखन कटोरी के नाम से प्रचलित हो गया, जिसे कृष्ण वट भी कहा जाता है। मान्यता है कि जब इस पेड़ के पत्तों को तोड़ा जाता है तो उसमें से एक रस निकलता है, जिसे माखन कहते हैं।
बता दें कि माखन कटोरी के वृक्ष अधिकांश उत्तराखंड में भी पाए जाते है, लेकिन वर्तमान में हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में तैयार किए जा रहे है। जो कृष्ण वट के पुराने इतिहास को नया जीवन देने का काम कर रहे हैं। वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में कदम्ब के पेड़ भी बड़ी मात्रा में मौजूद है, मान्यता है की कदम्ब के पेड़ों पड़ चढ़कर भगवान कृष्ण गोपियों को रिझाते थे। भगवान कृष्ण से जुड़ी एक और चीज़ जिसका वर्णन श्री कृष्ण की आरती में भी है 'गले में वैजयंती माला' को भी हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र संरक्षित कर रहा है। इसके अतिरिक्त अगर कृष्ण जन्माष्टमी पर आप भगवान कॄष्ण को खुश करना चाहते है तो कृष्ण से जुड़ी हर चीज़ आपको वन अनुसंधान केंद्र में मिल जाएगी।