बागेश्वर : अवैध खनन में लगी पोकलैंड व जेसीबी मशीनों को पुलिस ने किया सीज, HC के आदेश पर की कार्रवाई

Edited By Vandana Khosla, Updated: 11 Jan, 2025 09:21 AM

bageshwar police seized pokland and jcb machines

बागेश्वर : बागेश्वर में पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर जिले की पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। पुलिस ने 24 घंटों के भीतर खनन कार्य में लगीं 124 पोकलैंड और जेसीबी मशीनों को सीज कर दिया है। वहीं, मशीन स्वामियों ने खुद भी मशीनों की चाबियां चौकियों और...

बागेश्वर : बागेश्वर में पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर जिले की पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। पुलिस ने 24 घंटों के भीतर खनन कार्य में लगीं 124 पोकलैंड और जेसीबी मशीनों को सीज कर दिया है। वहीं, मशीन स्वामियों ने खुद भी मशीनों की चाबियां चौकियों और थानों में जमा करवा दी हैं। सभी खड़िया खदानों में सन्नाटा पसरा हुआ है। पुलिस ने सभी खान संचालकों को नियम का पालन करने की हिदायत दी है।

दरअसल, जिले में सात जनवरी से खड़िया खनन पर पूरी तरह रोक लगी हुई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार की शाम से पुलिस ने जगह-जगह बैरियर भी लगा दिए है। ताकि खड़िया के ट्रक वाहन नहीं जा सके। साथ ही पुलिस ने खड़िया खानों में लगी पोकलैंड और जेसीबी मशीनों को सीज करना शुरू कर दिया था। मशीनों में नोटिस भी लगाए गए। नोटिस मिलते ही मशीन संचालक रीमा पुलिस चौकी, कांडा पुलिस चौकी और कोतवाली में चाबियां जमा करने पहुंचने लगे। रीमा चौकी में सबसे अधिक 52 चाबियां जमा हुई। जबकि पूरे जिले में 124 मशीनों के पहिये थम गए। वर्तमान में जिले की खड़िया खानों से कई कुंतल खड़िया खुदी है। इसकी निकासी पर भी फिलहाल रोक लगी है।

पुलिस अधीक्षक चंद्रशेखर घोड़के ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद 124 पोकलैंड और जेसीबी सीज कर दी हैं। इनकी चाबियां पुलिस के पास जमा हैं। खनन कार्य पूरी तरह बंद है। जो खड़िया खुदी है। उसकी निकासी फिलहाल बंद है। ट्रकों की जांच के लिए पुलिस बैरियर चना दिए हैं। ताकि डंप किया गया खड़िया बाहर न जा सके। खान संचालकों को नियम का पालन करने के निर्देश दिए हैं। जो उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।

वहीं,सवाल संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश कृषक ने बताया कि उच्च न्यायालय ने बागेश्वर में खड़िया खनन बंद करने के निर्देश दिए है। उन्होंने बताया कि पूरा जिला तबाही के कगार पर खड़ा है। खड़िया खनन अवैध तरीके से हो रहा है। स्थानीय लोगों की जल,जंगल और जमीन पूरी तरह से नष्ट हो गई है। उच्च न्यायालय ने स्वत संज्ञान लिया है। ग्रामीणों की समस्या ना जिला प्रशासन सुन रहा था ना उत्तराखंड सरकार। ग्रामीणों को अब जाकर न्याय मिला है।

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