Edited By Vandana Khosla, Updated: 03 Mar, 2025 12:08 PM
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चमोली हादसाः उत्तराखंड के चमोली जिले में बद्रीनाथ के पास माणा गांव में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिविर पर हुए हिमस्खलन के कारण बर्फ में फंसे आखिरी चार मजदूरों के शव रविवार को बाहर निकाल लिए गए। जिससे हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो...
चमोली हादसाः उत्तराखंड के चमोली जिले में बद्रीनाथ के पास माणा गांव में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिविर पर हुए हिमस्खलन के कारण बर्फ में फंसे आखिरी चार मजदूरों के शव रविवार को बाहर निकाल लिए गए। जिससे हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई। इसी के साथ लगभग 60 घंटे तक जारी रहा बचाव अभियान भी समाप्त हो गया । सेना के चिकित्सकों ने बताया कि पहले बाहर निकाले गए 46 श्रमिकों को ज्योतिर्मठ के सैनिक अस्पताल लाया गया, जिनमें से दो को हवाई एंबुलेंस के जरिये बेहतर उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश भेज दिया गया है।
हिमस्खलन पीड़ितों ने अपने भयावह अनुभवों को किया याद
वहीं, ज्योतिर्मठ के अस्पताल में भर्ती हिमस्खलन पीड़ितों ने अपने भयावह अनुभवों को याद किया। पंजाब के अमृतसर के रहने वाले मजदूर जगबीर सिंह ने बताया कि जिस समय हिमस्खलन हुआ और बर्फ ने उसे उसके साथियों के साथ कई सौ मीटर नीचे धकेल दिया, उस समय वह बीआरओ के शिविर में अपने कंटेनर में सो रहा था। जगबीर ने कहा, "हम जिस कंटेनर में थे, वह नीचे लुढ़कने लगा। जब तक हम ये समझ पाते कि क्या हुआ है, मैंने देखा कि हमारे एक साथी की मौत हो गई है और मेरा एक पैर टूट गया है। मेरे सिर में भी चोट लगी थी। वहां हर तरफ बर्फ का ढेर था।'' जगबीर ने बताया कि वह और उसके कुछ साथी किसी तरह से भारी कदमों से धीरे-धीरे चलते हुए कुछ दूरी पर स्थित एक होटल में पहुंचे और वहां आश्रय लिया। उसने कहा, ''हमें 25 घंटे बाद बाहर निकाला गया और इस दौरान हम 14-15 लोगों के पास ओढ़ने के लिए केवल एक कंबल था। जब हमें प्यास लगी, तो हमने बर्फ खाई।''
बिहार के वैशाली जिले के रहने वाले मुन्ना प्रसाद ने कहा कि सभी कंटेनर अलकनंदा नदी की तरफ बह गए। उसने कहा, ''हम करीब 12 घंटे तक बर्फ के नीचे ऐसे ही पड़े रहे। बर्फ से हमारी नाक बंद हो गई थी और सांस लेना मुश्किल था। हालांकि, शुक्र है कि बहुत देर होने से पहले सेना और आईटीबीपी की टीमें हमें बचाने आ गईं।''