Edited By Vandana Khosla, Updated: 02 Jun, 2025 04:33 PM

देहरादूनः यहां एक बोर्डिंग स्कूल के केयरटेकर द्वारा कथित मारपीट और लैंगिक उत्पीड़न के शिकार हुए उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के रहने वाले मानसिक रूप से कमजोर दो भाइयों के बयान मंगलवार को अदालत में दर्ज कराए जाएंगे। मामले की तहकीकात कर रहे पुलिस के...
देहरादूनः यहां एक बोर्डिंग स्कूल के केयरटेकर द्वारा कथित मारपीट और लैंगिक उत्पीड़न के शिकार हुए उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के रहने वाले मानसिक रूप से कमजोर दो भाइयों के बयान मंगलवार को अदालत में दर्ज कराए जाएंगे। मामले की तहकीकात कर रहे पुलिस के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि विशेषज्ञों की मदद से नौ और 13 वर्ष की उम्र के दोनों भाइयों के बयान अदालत में दर्ज कराए जाएंगे।
पुलिस के मुताबिक चार महीने पहले ही बंजारावाला क्षेत्र में ‘विशेष बच्चों' के लिए खुला यह बोर्डिंग स्कूल फिलहाल बंद हो गया है। क्योंकि इन दो भाइयों के अतिरिक्त उसमें पढ़ रहे एक तीसरे लड़के को भी बाल कल्याण समिति ने वहां से निकाल लिया है। इससे पहले, बच्चों की मां ने पटेल नगर पुलिस थाने में इस संबंध में तहरीर दी थी जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी मोनू पाल के विरूद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 115(2)/64(2)(ए) तथा 5(डी)(के)/ 6 तथा पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उसे जेल भेज दिया है। पुलिस ने मानसिक रूप से कमजोर बच्चों का चिकित्सकीय परीक्षण कराया तथा उनकी भाषा को समझने के लिए पुलिस द्वारा विशेषज्ञों की व्यवस्था भी की गई। पुलिस ने घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज व डीवीआर भी तत्काल कब्जे में ले लिए।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में 29 वर्षीय मोनूपाल बच्चों की लात, घूंसों और कोहनी से पिटाई करता दिखाई दे रहा है । उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के सादियाबाद क्षेत्र के इन्द्रपुर हेडी गांव का रहने वाला मोनूपाल फिलहाल देहरादून के कारगीचौक में रह रहा था। पुलिस ने बताया कि मोनूपाल विशेष बच्चों की देखभाल के कोर्स में डिप्लोमाधारी है । उधर, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आयोग जिलाधिकारियों को पत्र लिख रहा है कि सभी छात्रावासों खासतौर से विशेष बच्चों के लिए चलाए जा रहे छात्रावासों तथा उन्हें चलाने वाले लोगों का भौतिक सत्यापन सुनिश्चित किया जाए और उनके लिए मानक तय किए जाएं।
उन्होंने कहा, “हम अपने घर में कैसे रहें, यह हमारी इच्छा है, लेकिन हम दूसरों के बच्चों को कैसे रखेंगे, यह हमारी इच्छा पर निर्भर नहीं हो सकता। उसके लिए मानक तय होने चाहिए।” स्वयं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. खन्ना ने कहा कि वह बौद्धिक रूप से कमजोर इन बच्चों का चिकित्सकीय परीक्षण कराएंगे और यह पता लगाने का प्रयास करेंगी कि दोनों भाइयों के एक ही समस्या से पीड़ित होने का कारण कहीं अनुवांशिक तो नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर उनका इलाज संभव हुआ तो वह कराया जाएगा ।