Edited By Vandana Khosla, Updated: 01 Jul, 2025 04:07 PM

नैनीतालः एक मजिस्ट्रेट अदालत ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के न्यायाधीश मनीष गर्ग के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा...
नैनीतालः एक मजिस्ट्रेट अदालत ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी द्वारा केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के न्यायाधीश मनीष गर्ग के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि के मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा कुशवाहा ने संजीव चतुर्वेदी के उस मामले की सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया, जिसमें उन्होंने (चतुर्वेदी ने) न्यायाधीश गर्ग पर 2023 में खुले न्यायालय की कार्यवाही के दौरान उनके खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया है।
कुशवाहा के साथ ही संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामलों से खुद को अलग करने वाले न्यायाधीशों की कुल संख्या अब 14 हो गई है। नई दिल्ली स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ के सदस्य (न्यायिक) डी. एस. माहरा द्वारा संजीव चतुर्वेदी के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए की गई अवमानना याचिका की कार्यवाही का हवाला देते हुए, कुशवाहा ने माहरा से पारिवारिक संबंध होने को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में, अधोहस्ताक्षरी के लिए वर्तमान मामले की सुनवाई करना विधिक रूप से उचित नहीं होगा। इसी के साथ उन्होंने इस मामले को अपनी अदालत से स्थानांतरित करने का अनुरोध किया। अब तक संजीव चतुर्वेदी के मामलों से दो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, नैनीताल उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश, कैट के अध्यक्ष, शिमला की एक अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश और कैट की दिल्ली व इलाहाबाद पीठ के सात न्यायाधीश स्वयं को अलग कर चुके हैं।
चतुर्वेदी के अनुसार, यह देश में अनोखा रिकॉर्ड है जिसमें 14 न्यायाधीशों ने एक व्यक्ति के मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। संजीव चतुर्वेदी एक व्हिसलब्लोअर अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने हरियाणा वन घोटाले का पर्दाफाश किया था और नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में कई घोटालों का खुलासा किया।