Edited By Nitika, Updated: 30 Sep, 2023 02:14 PM

उत्तराखंड उच्च न्यायालय से देश के प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) प्रबंधन को झटका लगा है। न्यायालय ने पर्यटकों को घुमाने वाली जिप्सियों की पंजीकरण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय से देश के प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) प्रबंधन को झटका लगा है। न्यायालय ने पर्यटकों को घुमाने वाली जिप्सियों की पंजीकरण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। साथ ही प्रदेश के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) और सीटीआर के निदेशक से जवाब तलब किया है।
अदालत के इस आदेश से सीटीआर प्रबंधन की दिक्कतें बढ़ना लाजिमी है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व आगामी 15 अक्टूबर से वन्य जीव प्रेमियों के लिए खुल रहा है और उनके उपयोग में लाई जाने वाली जिप्सियों के पंजीकरण प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस प्रकरण को रामनगर के जिप्सी स्वामी इकरा परवीन की ओर से चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सीटीआर प्रबंधन की ओर से बिजरानी, ढिकाला, झिरना, गर्जिया जोन के लिए 2023-24 सीजन के लिए जिप्सियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में गाइड लाइन का उल्लंघन किया जा रहा है। आरोप है कि सीटीआर प्रबंधन की ओर से चुनिंद जिप्सी संचालकों को लाभ देने के लिए गाइड लाइन का उल्लंघन किया जा रहा है। पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व समाचार पत्रों में इसके लिए विज्ञप्ति जारी नहीं की गई। सिर्फ सोशल मीडिया पर पुराने जिप्सी संचालकों को पंजीकरण की सूचना दी गई और उनका पंजीकरण कर दिया गया।
सीटीआर के इस कदम से नए जिप्सी संचालक प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाए। पंजीकरण की अंतिम तिथि 30 सितंबर को खत्म हो रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि न्यायामूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पंजीकरण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। साथ ही पीसीसीएफ (वन्य जीव) और निदेशक से जवाब देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।