Edited By Vandana Khosla, Updated: 02 Jul, 2025 08:35 AM

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को वन गुर्जरों के मामले में सुनवाई करते हुए अपने महत्वपूर्ण निर्णय में वन गुर्जरों को खेती करने की अनुमति दे दी है। उच्च न्यायालय के इस आदेश से तराई के लगभग 1000 वन गुर्जर परिवार लाभान्वित हो सकेंगे। मुख्य...
नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को वन गुर्जरों के मामले में सुनवाई करते हुए अपने महत्वपूर्ण निर्णय में वन गुर्जरों को खेती करने की अनुमति दे दी है। उच्च न्यायालय के इस आदेश से तराई के लगभग 1000 वन गुर्जर परिवार लाभान्वित हो सकेंगे। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ में तराई पूर्वी, तराई पश्चिमी और तराई केंद्रीय वन प्रभाग में निवास कर रहे वन गुर्जर अली जान, गुलाम रसूल, मो. युसूफ और गुलाम रसूल की ओर से दायर चार अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वह कई वर्षों से रंगशाली और डोली रेंज में निवास कर रहे हैं तथा वन विभाग अतिक्रमण के नाम पर उन्हें खेती करने से रोक रहा है। उनकी खेती वाली भूमि पर पौधारोपण कर खेती करने से रोका जा रहा है। यह उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। यह भी कहा गया कि वन विभाग के अधिकारी बिना नोटिस जारी किए यह सब कार्रवाई कर रहें हैं। अभी तक उनके दावों की सुनवाई नहीं की जा रही है। जबकि उन्होंने ग्राम सभा कमेटी को अपने दावों के संबंध में प्रत्यावेदन सौंपा है। दूसरी ओर सरकार की ओर से आरोप को गलत बताते हुए कहा गया कि वन गुर्जरों की ओर से अतिक्रमण किया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अर्जुन कसाना की ओर से बताया गया कि अंत में खंडपीठ ने वन गुर्जरों को खेती करने की अनुमति दे दी। साथ ही निर्देश दिए कि वन गुर्जर खेती वाली भूमि का व्यावसायिक उपयोग नहीं कर सकेंगे। अदालत ने इसी के साथ ही सभी याचिकाओं को निस्तारित कर दिया। कसाना ने कहा कि अदालत के इस निर्णय से तराई पूर्वी वन प्रभाग, तराई पश्चिम और तराई केंद्रीय वन प्रभाग के लगभग 1000 वन गुर्जर परिवारों को लाभ हो सकेगा।