Dehradun News: जिन हाथों में थे भीख के कटोरे अब आई कलम, इन बच्चों के लिए भगवान बने DM

Edited By Vandana Khosla, Updated: 11 Jan, 2025 03:56 PM

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देहरादूनः उत्तराखंड के देहरादून जिले में भीख मांगने व कूड़ा बीनने का काम कर रहे बच्चों के लिए जिलाधिकारी भगवान बनकर आए हैं। DM की मुहिम पर बच्चों को रेस्क्यू कर उनको अब शिक्षा दी जा रही है। अभी तक कितने बच्चों को रेस्क्यू किया गया है। क्या इन बच्चों...

देहरादूनः उत्तराखंड के देहरादून जिले में भीख मांगने व कूड़ा बीनने का काम कर रहे बच्चों के लिए जिलाधिकारी भगवान बनकर आए हैं। DM की मुहिम पर बच्चों को रेस्क्यू कर उनको अब शिक्षा दी जा रही है। अभी तक कितने बच्चों को रेस्क्यू किया गया है। क्या इन बच्चों का पढ़ाई में मन लग रहा है और यह गरीब बच्चे कहां के रहने वाले हैं? बच्चों को आखिर क्यों कूड़ा बीनने व भीख मांगने की जरूरत पड़ी है? देखिए हमारी ये रिपोर्ट।

दरअसल, देहरादून के डीएम सविन बंसल ने भीख मांगने और कूड़ा बीनने के लिए मजबूर मासूमों के लिए एक विशेष अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत जिन बच्चों के हाथों में भीख के कटोरे होते थे। उन हाथों में अब कलम और किताब दिखाई दे रही है। इस पहल के माध्यम से बच्चों को शिक्षा और खेल से एक बेहतरीन भविष्य देने का लक्ष्य है। मिली जानकारी के मुताबिक इस अभियान के तहत अभी तक 23 से ज्यादा बच्चों को रेस्क्यू किया गया है। अब इन बच्चों को देहरादून स्थित साधुराम इंटर कॉलेज में स्थापित आधुनिक यूनिवर्सिटी करियर सेंटर में पढ़ाया जा रहा है। बच्चों को खेल के साथ शिक्षित किया जा रहा है। नौनिहालों का भी पढ़ाई पर खूब मन लग रहा है। फर्नीचर, खेल सामग्री और अन्य उपकरणों से सुसज्जित इस सेंटर में बच्चे न केवल पढ़ाई में रुचि दिखा रहे हैं बल्कि ड्राइंग पेंटिंग और अन्य गतिविधियों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी कर रहे हैं। बच्चे जो गरीबों के कारण सड़कों पर भीख मांगने कूड़ा कबाड़ उठाते थे अब किताब और पेंसिल के जरिए अपने सपनों को आकार दे रहे हैं।

वहीं, बच्चों को शिक्षा दे रहे अध्यापकों का कहना है कि जितने भी बच्चे उनके पास पहुंच रहे हैं, वह सब बाहरी बच्चे हैं। बताया गया कि पढ़ाई में उनका खूब मन लग रहा है। अध्यापक रामलाल का कहना है कि यह पहल न केवल बच्चों को सड़क से स्कूल तक लाने में सफल हो रही है। बल्कि, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सेंटर में बच्चे अब विभिन्न स्कूली गतिविधियों खेल और मनोरंजन में हिस्सा बनकर अपनी छिपी हुई क्षमताओं को निखार रहे हैं। यह प्रयास उनकी सोच और जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव ला रहा है। बच्चे भी पढ़ाई में खूब दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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