High Court का बड़ा फैसला...गंगा नदी के संरक्षण की दिशा में उठाया ये कदम; जानिए क्या है?

Edited By Vandana Khosla, Updated: 31 Jul, 2025 03:03 PM

big decision of the high court  this step was taken towards

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गंगा नदी के संरक्षण की दिशा में बुधवार को एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हरिद्वार जिले के रायवाला और भोगपुर के बीच नदी तल क्षेत्र में अवैध रूप से चल रहे 48 स्टोन क्रशरों को तत्काल बंद करने का निर्देश दिए हैं। न्यायालय...

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गंगा नदी के संरक्षण की दिशा में बुधवार को एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हरिद्वार जिले के रायवाला और भोगपुर के बीच नदी तल क्षेत्र में अवैध रूप से चल रहे 48 स्टोन क्रशरों को तत्काल बंद करने का निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने हरिद्वार जिला प्रशासन को सभी इकाइयों को बंद करने, उनकी बिजली और पानी की आपूर्ति कनेक्शन भी काटने और अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।        

यह आदेश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने हरिद्वार स्थित धार्मिक संस्था मातृ सदन द्वारा 2022 में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए पारित किए। जनहित याचिका में गंगा नदी के तल में बड़े पैमाने पर खनन गतिविधियों को उजागर किया गया है। साथ ही प्राधिकारियों पर भारी मशीनरी को नदी तल को नष्ट करने की अनुमति देने का आरोप लगाया गया। यह भी आरोप लगाया गया कि यह केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा बार-बार जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन है। मातृ सदन के वकील ब्रह्मचारी सुधानंद ने कहा कि अदालत ने पाया कि इन स्टोन क्रशरों का संचालन उच्च न्यायालय के पहले के आदेशों की घोर अवहेलना है।

कहा कि अदालत ने 3 मई, 2017 को ही इन इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया था, फिर भी 2018 में इन्हें सील किए जाने के बाद भी ये अवैध रूप से खनन में लगी रहीं। उन्होंने कहा कि अदालत ने हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को एक सप्ताह के भीतर इन सभी 48 स्टोन क्रशरों को तुरंत बंद करने और उनकी बिजली और पानी की आपूर्ति भी काटने का निर्देश दिए है।

स्वामी शिवानंद के नेतृत्व वाली मातृ सदन संस्था ने लंबे समय से गंगा बचाओ आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई है। इस संगठन ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में उत्खनन और खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने, नदी तल के 5 किलोमीटर के दायरे से स्टोन क्रशर हटाने और जलविद्युत परियोजनाओं को रद्द करने की मांग को लेकर कई बार आमरण अनशन और विरोध प्रदर्शन किए हैं। 

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