Edited By Ramanjot, Updated: 28 Jan, 2023 02:12 PM

‘कबीर म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड' नाम से खोले गए कार्यालय पर ताला लगा देखकर चिटफंड कंपनी में पैसा जमा करवाने वालों को उसके संचालक के फरार होने के बारे में पता चला था, जिसके बाद उन्होंने 21 जनवरी को पुलिस में उसकी शिकायत दर्ज कराई। मामले की...
हरिद्वार: उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के ज्वालापुर क्षेत्र में ‘मुस्लिम फंड' के नाम से चलाई जा रही चिटफंड कंपनी के जरिए लोगों से कथित तौर पर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी कर फरार हुए मुख्य आरोपी अब्दुल रज्जाक सहित तीन व्यक्तियों को पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया। आरोपियों के पास से 12 लाख 70 हजार रुपए बरामद किए गए हैं।
‘कबीर म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड' नाम से खोले गए कार्यालय पर ताला लगा देखकर चिटफंड कंपनी में पैसा जमा करवाने वालों को उसके संचालक के फरार होने के बारे में पता चला था, जिसके बाद उन्होंने 21 जनवरी को पुलिस में उसकी शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर छह टीम का गठन किया गया था। नगर पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार ने बताया कि रज्जाक के अलावा उसके साथ अपराध में शामिल नसीम और मसरूद को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि 20 करोड़ रुपए का विदेशी चंदा पाने के लालच में उन्होंने अपनी चिटफंड कंपनी से साढ़े तीन करोड़ रुपए निकाल कर कहीं दे दिए।
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्हें विदेशी चंदा भी नहीं मिला और उनके साढ़े तीन करोड़ रुपये डूब गए, जिसके चलते आरोपी फरार हो गये थे। इसके अलावा, रज्जाक ने पुलिस को बताया कि नोटबंदी के दौरान एक हजार रुपए के पुराने नोटों के बदले भी उसे 25 प्रतिशत कमीशन के तौर पर कहीं से पैसे मिलने थे और इस मामले में भी उसके साथ ठगी हो गयी। कुमार ने बताया कि ‘मुस्लिम फंड' में लोगों के करीब साढ़े सात करोड़ रुपये जमा हैं जो तकरीबन 30 साल से जमा कराए जा रहे थे। उन्होंने बताया कि आरोपियों के पास से 12 लाख 70 हजार रुपये बरामद किए गए हैं जबकि एक बैंक के लॉकर में सोना रखे होने की बात भी आरोपियों ने बताई है जिसे अदालत के आदेश पर खोला जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि पुलिस ‘मुस्लिम फंड' के नाम पर अमीर लोगों के काले धन को सफेद बनाने के गोरखधंधे की भी जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि यह भी पता चला है कि ‘मुस्लिम फंड' में फर्जी खातों व कंपनियों के जरिये काले धन को सफेद करने का गोरखधंधा भी चलाया जा रहा था।