10 साल से फरार शातिर हरिद्वार से गिरफ्तार, खुद को एम्स का चिकित्सक बताकर रह रहा था;पुलिस ने ऐसे किया भंडाफोड़

Edited By Vandana Khosla, Updated: 14 Jun, 2025 09:16 AM

a rogue who was absconding for 10 years was arrested from haridwar

Uttarakhand desk: धोखाधड़ी और जालसाजी के दो अलग-अलग मामलों में एक दशक से अधिक समय से फरार एक व्यक्ति को उत्तराखंड के हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया है। जो खुद को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का चिकित्सक बताकर वहां रह रहा था। पुलिस ने...

Uttarakhand desk: धोखाधड़ी और जालसाजी के दो अलग-अलग मामलों में एक दशक से अधिक समय से फरार एक व्यक्ति को उत्तराखंड के हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया है। जो खुद को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का चिकित्सक बताकर वहां रह रहा था। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

हरिद्वार में ‘डॉक्टर साहब' के नाम से बनाई थी पहचान
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी की पहचान 52 वर्षीय राजकुमार शर्मा के रूप में की गई है। जो कई साल से फर्जी पहचान के साथ रह रहा था और स्थानीय तौर पर उसे ‘डॉक्टर साहब' के नाम से जाना जाता था। पुलिस ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि आरोपी दावा करता था कि वह एम्स-ऋषिकेश से संबद्ध है और उसने इलाके के निवासियों का विश्वास जीत लिया था। शर्मा को 11 और 12 जून की रात को हरिद्वार में उसके आवास पर देर रात कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया गया।

जानिए किन-किन मामलों में वांटेड है आरोपी?
पुलिस उपायुक्त-अपराध (डीसीपी) संजीव कुमार यादव ने कहा कि आरोपी शर्मा 2007 में रूप नगर पुलिस थाने में दर्ज एक मामले में फरार था। जिसमें उस पर जाली दस्तावेजों का उपयोग करके सरकारी बैंकों से वाहन ऋण प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था। उन्होंने बताया कि इस मामले की शुरुआती जांच के दौरान उसके पास से फर्जी कागजात के जरिए ऋण प्राप्त कर खरीदी गई एक कार भी बरामद की गई थी। उन्होंने बताया कि मामले में जमानत पर रिहा किए जाने के बाद वह अदालत में पेश नहीं हुआ और दिसंबर 2016 में उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया।

डीसीपी ने बताया कि बुराड़ी पुलिस थाने में 2015 में दर्ज एक अन्य मामले के अनुसार शर्मा ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर दो लोगों को भूखंड बेचकर 14.10 लाख रुपये ठगे। अधिकारी ने कहा कि मामले को निपटाने के लिए उसने कई साल पहले बंद हो चुके बैंक खाते से 26 लाख रुपये का चेक जारी किया। जब पीड़ितों को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखा हुआ है, तो उन्होंने पुलिस से संपर्क किया। डीसीपी ने बताया कि शर्मा ने दबाव में आकर दिल्ली में अपना घर रातों-रात खाली कर दिया और उत्तराखंड भाग गया। उन्होंने बताया कि तब से उसने कई बार अपनी पहचान बदली, बार-बार अपना हुलिया बदला, पता और मोबाइल नंबर बदले ताकि वह पकड़ा न जाए।

पुलिस द्वारा की पूछताछ में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
शर्मा ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का रहने वाला है और उसने स्नातक की पढ़ाई की है। उसने बताया कि धोखाधड़ी करने से पहले वह दिल्ली के बुराड़ी में मासिक पत्रिकाएं और समाचार पत्र प्रकाशित करता था। पुलिस ने बताया कि शर्मा का एक बेटा बी फार्मा कर रहा है और एक बेटी हरिद्वार में कानून की पढ़ाई कर रही है। वर्तमान में उसके पास कोई स्थिर आय नहीं है और वह जीविका के लिए कथित तौर पर पैतृक कृषि भूमि पर निर्भर है। 

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