पौड़ी में 6 सालों के अंदर सड़क दुर्घटनाओं में 107 लोगों की मौत, ओवरलोडिंग और तेज गति रहा हादसों का मुख्य कारण

Edited By Vandana Khosla, Updated: 18 Nov, 2024 01:02 PM

107 people died in road accidents in pauri within 6 years

पौड़ीः उत्तराखंड के जनपद पौड़ी में बीते 6 सालों के अंदर सड़क दुर्घटनाओं में 107 लोगों की मौत हुई है। दरअसल, पौड़ी में हुए 3 बड़े सड़क हादसों में कई लोगों ने अपनी जान गवाई। इस दौरान हादसों का मुख्य कारण वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठना पाया गया...

पौड़ीः उत्तराखंड के जनपद पौड़ी में बीते 6 सालों के अंदर सड़क दुर्घटनाओं में 107 लोगों की मौत हुई है। दरअसल, पौड़ी में हुए 3 बड़े सड़क हादसों में कई लोगों ने अपनी जान गवाई। इस दौरान हादसों का मुख्य कारण वाहनों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठना पाया गया है। वहीं पहाड़ों में हो रहे सड़क हादसों को लेकर जीएमओयू स्टेशन अधीक्षक अरुण रावत ने बताया कि सड़क हादसों का मुख्य कारण वाहनों में ओवरलोडिंग और गति का तीव्र होना है।

"बस में क्षमता से अधिक सवारियां बैठने से होती है सड़क दुर्घटना"
जीएमओयू स्टेशन अधीक्षक ने कहा कि शादी विवाह जैसे समारोह या त्योहार के बाद लिंक मार्गों या ग्रामीण मार्गों में सवारियों की संख्या में इजाफा होता है। हालांकि सामान्य दिनों में इन रूटों पर सवारियां कम ही होती है। ऐसे में विशेष दिन होने के कारण बसों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठ जाती है, जिससे सड़क दुर्घटना हो रही है। बताया गया की पहले उनके डिपो से 70 बसों का संचालन होता था, लेकिन अब 40 बसों का ही संचालन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण प्राइवेट वाहन है। ग्रामीण और लिंक मार्ग में प्राइवेट वाहनों को दोपहिया वाहनों की संख्या में इजाफा होने के चलते सवारियां नहीं मिल पाती है। जिससे उनके डीजल का खर्चा भी सही से नहीं निकल पा रहा है। लेकिन त्योहारों और शादी विवाह के समय सवारियां अधिक होती है और ओवरलोडिंग के चलते यह दुर्घटनाएं हो रही है। कहा की जिन इलाकों में बस संचालन की अधिक मांग है। वहां पर सरकारी तंत्र अपने वाहन चलाए जिससे ओवरलोडिंग की समस्या ना हो।

"परिवहन विभाग को मोटर मार्गो पर करनी चाहिए चेकिंग"
वहीं, वाहन चालक युद्धवीर सिंह रावत ने बताया कि तकनीकी रूप से वाहन के जो मुख्य पट्टे होते हैं। इस पट्टे के टूटने से वाहन जिस दिशा में घूमता है, उसी दिशा में चला जाता है। ऐसे में वाहन के ब्रेक भी नहीं लगते हैं। इसके चलते वाहन को नियंत्रित करना असंभव हो जाता है। पहाड़ी इलाके होने के चलते अनियंत्रित वाहन सड़क से नीचे चले जाते है और बड़ी दुर्घटना हो जाती है। मैदानी  इलाकों में इस तरह की घटनाओं में वाहनों की आपसी भिड़ंत या वाहन पलट जाते है। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए परिवहन विभाग को समय-समय पर ऐसे मोटर मार्गों पर भी चेकिंग करनी चाहिए, जहां पर प्राइवेट वाहनों द्वारा यात्रियों को लाया और ले जाया जाता है। जिससे कॉमर्शियल वाहनों को आर्थिक रूप से नुकसान होता है और त्योहार जैसे सीजन में उन पर क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाने से सड़क दुर्घटना ना हो।

"60 वाहनों के फिटनेस दस्तावेज पूरे न होने पर किया चालान"
आरटीओ पौड़ी द्वारिका प्रसाद ने कहा कि बीते दो महीनों में 60 वाहन जिनकी फिटनेस के दस्तावेज पूरे नहीं थे, उनके चालान किए गए है। वह लगातार जागरूकता अभियान के माध्यम से वाहन चालकों को जागरूक करते है। इसी के साथ ही उन्होंने सभी वाहन चालको से यातायात के नियमों का पालन करने की अपील की है जिससे कि सड़क दुर्घटनाएं ना हो। बता दें कि धुमाकोट में साल 2018 में 38 लोगों की मौत, साल 2022 सिमडी में हुए सड़क हादसे में 33 लोगों की मौत। साल 2024 में मरचूला के पास हुए सड़क हादसे ने 36 लोगों की मौत हो गई थी और 27 लोग घायल हो गए थे। इन सभी सड़क दुर्घटनाओं में वाहन में क्षमता से अधिक सवारियां बैठी हुई थी।

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