Edited By Vandana Khosla, Updated: 03 Jan, 2025 02:40 PM
देहरादूनः वन विभाग जंगलों में आग लगने की घटनाओं का दौर शुरू होने से पहले उत्तराखंड में चीड़ की पत्तियों (पिरूल) से ब्रिकेटस बनाने की 7 इकाइयां स्थापित करेगा। वन विभाग के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
देहरादूनः वन विभाग जंगलों में आग लगने की घटनाओं का दौर शुरू होने से पहले उत्तराखंड में चीड़ की पत्तियों (पिरूल) से ब्रिकेटस बनाने की 7 इकाइयां स्थापित करेगा। वन विभाग के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
आपको बता दें कि ब्रिकेट्स एक प्रकार की ईंटें होती हैं जो कोयला, लकड़ी के चिप, चूरा या कागज जैसे बायोमास को संपीड़ित करके बनाई जाती हैं। अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया कि ये इकाइयां अल्मोड़ा, चंपावत, गढ़वाल और नरेंद्र नगर वन प्रभागों में स्थापित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि राज्य में ऐसी पांच इकाइयां पहले से ही हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिकेट्स इकाइयां स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करने के अलावा पिरूल संग्रह के माध्यम से वनों की आग को रोकने में मदद करेंगी। उन्होंने कहा कि राज्य में चीड़ के जंगलों में आग लगना एक आम बात है। उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले लगभग 15.25 प्रतिशत वन क्षेत्र में चीड़ के जंगल हैं। अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर चीड़ की पत्तियों से ब्रिकेट्स बनाएगी। उन्होंने बताया कि वन विभाग इन समूहों को चीड़ की पत्तियों के लिए प्रति क्विंटल तीन रुपये का भुगतान करता है और अब यह दर बढ़ाई जाएगी।
वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया कि पिछले साल विभाग ने इन समूहों के माध्यम से 38,299.48 क्विंटल चीड़ की पत्तियां एकत्र की थीं, जिसके बदले में उन्हें 1.13 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर वन विभाग ने वनाग्नि रोकथाम के लिए पांच वर्षीय योजना भी तैयार कर केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजी है।