Edited By Vandana Khosla, Updated: 20 Aug, 2025 03:19 PM

गैरसैंणः उत्तराखंड विधानसभा में पंचायत चुनाव में कथित धांधली और प्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग को लेकर अड़े कांग्रेस विधायकों ने पूरी रात सदन में गुजारने के बाद बुधवार को लगातार दूसरे दिन जोरदार हंगामा किया।...
गैरसैंणः उत्तराखंड विधानसभा में पंचायत चुनाव में कथित धांधली और प्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग को लेकर अड़े कांग्रेस विधायकों ने पूरी रात सदन में गुजारने के बाद बुधवार को लगातार दूसरे दिन जोरदार हंगामा किया। जिसके कारण कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा। मानसून सत्र के पहले दिन, मंगलवार को ही कार्य स्थगन प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस सदस्यों ने पंचायत चुनाव में कथित गड़बड़ी और कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति पर चर्चा कराने की मांग की थी और इसके न होने पर उन्होंने सदन में ही धरना शुरू कर दिया था।
रात भर वे वहीं डटे रहे और फर्श पर गद्दे बिछाकर तथा रजाई में पूरी रात बिताई। इस दौरान, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस विधायकों को मनाने और धरना समाप्त कराने की कोशिश की, लेकिन वे धरने से उठने को तैयार नहीं हुए। बुधवार सुबह जब सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू होने वाली थी, उससे पहले ही कांग्रेस सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने खड़े हो गए। अध्यक्ष के सदन में आते ही वे फिर से अपनी मांग दोहराते हुए सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। अध्यक्ष ने उन्हें अपने स्थान पर बैठने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने इसे अनसुना कर दिया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
इस बीच, भाजपा विधायकों ने प्रश्नकाल न चलने देने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए ‘‘शर्म करो, शर्म करो'' के नारे लगाए। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस और नोकझोंक भी देखने को मिली। हंगामा जारी रहने के कारण सदन की कार्यवाही फिर दोपहर 12 बजे तक और फिर तीसरी बार 12 बजकर 30 मिनट तक स्थगित कर दी गई, जिससे लगातार दूसरे दिन भी प्रश्नकाल नहीं हो सका।
सदन के बाहर, हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित ह्रदयेश ने आरोप लगाया कि, “जो पुलिस कानून-व्यवस्था की जिम्मेदार है, वही उसे तोड़ने में लगी है। अपराधियों का हौसला इतना बढ़ गया है कि वे पहले विधायक और अब नेता प्रतिपक्ष पर भी हमला कर रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘उत्तराखंड उच्च न्यायालय से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर हुई इस घटना के संबंध में नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक झूठे हलफनामे दाखिल कर रहे हैं, और सरकार उन्हें संरक्षण दे रही है।''