"बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहा अत्याचार मानवता के मूल्यों पर गहरा आघात", विजय दिवस पर बोले CM धामी

Edited By Vandana Khosla, Updated: 17 Dec, 2024 10:47 AM

the atrocities being committed against hindus in bangladesh

देहरादूनः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार और हिंसा ने मानवता के मूल्यों पर गहरा आघात किया है। मुख्यमंत्री ने विजय दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में 1971 के य़ुद्ध में शहीद...

देहरादूनः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार और हिंसा ने मानवता के मूल्यों पर गहरा आघात किया है। मुख्यमंत्री ने विजय दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में 1971 के य़ुद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कहा जिस बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाने के लिए 1971 के युद्ध में भारत के लगभग 3900 जवान शहीद हुए। वहीं, बांग्लादेश अब सांप्रदायिक ताकतों के बहकावे में आकर हमारे देश के खिलाफ अपशब्द बोल रहा है। 

"1971 का युद्ध प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव और प्रेरणा का स्रोत"
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर चुप्पी साधने वाले लोगों पर तंज कसते हुए कहा कि छोटी-छोटी घटना पर कैंडल मार्च के साथ ही संसद बाधित करने वाले अब पूरी तरह गायब हैं। उन्होंने कहा ये कौन लोग हैं, जिन्हें वोट के लिए बांग्लादेश का नरसंहार तक नहीं दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने अपनी चिंताओं से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अवगत करा दिया है। धामी ने कहा भारत हमेशा से शांति और सहिष्णुता का पक्षधर रहा है। लेकिन, हमारी सद्भावना को हमारी कमजोरी समझने की भूल नहीं की जानी चाहिए। हम अगर ‘धूल से फूल' बनाना जानते हैं तो हम ‘धूल में मिलाना' भी जानते हैं। उन्होंने कहा कि 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ा गया युद्ध स्वतंत्र भारत के इतिहास का एक ऐसा स्वर्णिम अध्याय है, जो प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव और प्रेरणा का स्रोत है।

"16 दिसंबर 1971 के य़ुद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों में उत्तराखंड के 255 बहादुर सपूत थे शामिल" 
सीएम ने कहा 1971 के युद्ध में हमारी सेना ने विश्व को दिखा दिया कि भारत न केवल अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम है। बल्कि, जरूरत पड़ने पर मानवता और न्याय की रक्षा के लिए भी खड़ा हो सकता है। इस युद्ध में हमारी तीनों सेनाओं ने मात्र 13 दिनों में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस युद्ध में पाकिस्तान के सैनिकों ने 16 दिसंबर 1971 को हमारी सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया। जो दुनिया के सैन्य इतिहास में एक अद्वितीय घटना के रूप में दर्ज है। उन्होंने कहा कि उस युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने वाले 3900 भारतीय सैनिकों में उत्तराखंड के 255 बहादुर सपूत शामिल थे। मुख्यमंत्री ने सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि सैनिकों या उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुदान राशि को बढ़ाने के साथ ही शहीद सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में वरीयता के आधार पर नियुक्ति देने का भी निर्णय लिया गया है।

"शहीदों की वीरांगनाओं और माताओं को सरकारी बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा दी जाएगी"  
वहीं, आगे धामी ने कहा कि वीरता पदक से सम्मानित सैनिकों को मिलने वाली एकमुश्त अनुदान राशि में भी बढ़ोतरी की है। जबकि अनुदान राशि को लेकर परिवार में कोई मतभेद ना हो, इसके लिए राज्य सरकार ने शहीदों के माता-पिता और पत्नी दोनों को अनुदान राशि में समान अधिकार दिया है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राज्य के शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं और वीर माताओं को भी राज्य परिवहन निगम की बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा देने की घोषणा की। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!