Edited By Nitika, Updated: 12 Sep, 2023 09:22 AM

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंसूरी नगर पालिका की ओर से संचालित एकमात्र अशासकीय महाविद्यालय में नियुक्तियों में आरक्षण के मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को दो दिन के अंदर आरक्षण रोस्टर के संबंध में जवाब देने को कहा है।
नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंसूरी नगर पालिका की ओर से संचालित एकमात्र अशासकीय महाविद्यालय में नियुक्तियों में आरक्षण के मामले में सुनवाई करते हुए सरकार को दो दिन के अंदर आरक्षण रोस्टर के संबंध में जवाब देने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने ये निर्देश मंसूरी नगर पालिका की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए दिए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर मंसूरी नगर पालिका की ओर से सरकार के तय आरक्षण रोस्टर पर महाविद्यालय में रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति जारी की गई लेकिन सरकार की ओर से हाल ही में संशोधित आरक्षण रोस्टर जारी कर दिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार ने पहले जो रोस्टर जारी किया था, उसमें टंकण की त्रुटियां मौजूद थीं लेकिन जब महाविद्यालय की ओर से उच्च शिक्षा महकमा को लिखा गया तो सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। जब महाविद्यालय ने पहले जारी आरक्षण रोस्टर के अनुसार पदों को भरने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी तो सरकार की ओर से संशोधित आरक्षण रोस्टर जारी कर दिया गया।
याचिकाकर्ता मंसूरी नगर पालिका की ओर से इस ऊहापोह की स्थिति से बचने के लिए अदालत की शरण में आना पड़ा। साथ ही अदालत से नयी प्रक्रिया शुरू करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई। दरअसल महाविद्यालय की एक छात्रा अनीसा की ओर से इसी साल एक एक जनहित याचिका दायर कर इस मामले को चुनौती गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि महाविद्यालय में आरक्षण रोस्टर तय नहीं होने के कारण रिक्त पदों को नहीं भरा जा रहा है। डेढ़ दर्जन अध्यापकों के सापेक्ष सात आठ शिक्षक ही मौजूद हैं और इससे पठन पाठन का कार्य प्रभावित हो रहा है। जनहित याचिका की सुनवाई के बीच में सरकार की ओर से महाविद्यालय के लिए आरक्षण रोस्टर जारी कर दिया गया। इसके बाद अदालत ने महाविद्यालय को रिक्त पदों को भरने के लिए जल्द प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे दिए। इसी के साथ ही अदालत ने जनहित याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया।
सोमवार को सुनवाई के दौरान जब अदालत के संज्ञान में लाया गया कि सरकार की ओर से जारी रोस्टर में त्रुटियां रही है और अब नया रोस्टर जारी कर दिया गया है तो अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के संकेत दिए। अंत में अदालत ने थोड़ा नरम अख्तियार करते हुए सरकार को इस मामले में दो दिन में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। देखना है कि सरकार अब इस मामले में क्या जवाब पेश करती है।