नगर निगम चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर, आरक्षण मामले में HC ने हस्तक्षेप करने से किया इनकार

Edited By Vandana Khosla, Updated: 17 Jan, 2025 10:39 AM

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नैनीतालः उत्तराखंड के अल्मोड़ा नगर निगम चुनाव में आरक्षण के मामले में कांग्रेस नेता और अल्मोड़ा नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष शोभा जोशी को गुरुवार को उच्च न्यायालय से पुन: झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने निकाय चुनावों के बीच आरक्षण के मामले में हस्तक्षेप...

नैनीतालः उत्तराखंड के अल्मोड़ा नगर निगम चुनाव में आरक्षण के मामले में कांग्रेस नेता और अल्मोड़ा नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष शोभा जोशी को गुरुवार को उच्च न्यायालय से पुन: झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने निकाय चुनावों के बीच आरक्षण के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। साथ ही अदालत ने अपील को भी खारिज कर दिया है।

दरअसल, शीत अवकाश के बीच न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की पीठ में अपील पर गुरूवार को सुनवाई हुई। अपीलकर्ता की ओर से एकलपीठ के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि एकलपीठ ने विगत 10 जनवरी को अंतरिम आदेश जारी कर अल्मोड़ा नगर निगम के अध्यक्ष पद पर आरक्षण के मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था। अपीलकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि सरकार ने अल्मोड़ा नगर निगम के मेयर पद को नियम विरूद्ध तरीके से अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित घोषित कर दिया है। इस सीट पर ओबीसी की जनसंख्या पांच प्रतिशत से भी कम है। जबकि देहरादून और हल्द्वानी नगर निगम में ओबीसी की जनसंख्या सबसे अधिक है। नियमावली के अनुसार देहरादून और हल्द्वानी नगर निगमों को अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित घोषित किया जाना चाहिए। आगे कहा गया कि इन दोनों निगमों के मेयर पदों को अनारक्षित घोषित किया गया है। जो कि संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है।

वहीं, इस मामले में सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश में निकाय चुनाव अंतिम चरण में हैैं। आगामी 23 जनवरी को वोट डाले जाने हैं। इसके बाद अदालत ने इस स्तर पर चुनाव में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए अपील को खारिज कर दिया। अब इसके बाद अपीलकर्ता के पास उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का रास्ता बचा है। बता दें कि अपीलकर्ता की ओर से इससे पहले इस मामले को एक याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। याचिका में अल्मोड़ा नगर निगम के मेयर पद को अनारक्षित घोषित करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने विगत 10 जनवरी को अंतरिम आदेश जारी कर निकाय चुनाव में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था। 

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