CM धामी ने शुरू की शीतकालीन चारधाम यात्रा, विभिन्न व्यवस्थाओं का किया स्थलीय निरीक्षण

Edited By Ramanjot, Updated: 08 Dec, 2024 04:39 PM

cm dhami started the winter chardham yatra

धामी ने कहा, “इससे न केवल वर्षभर पर्यटकों का आगमन होगा, बल्कि यहां के अनेक पर्यटन स्थलों को भी नई पहचान मिलेगी। साथ ही, स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे जो उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में सहायक होंगे।” इस अवसर पर...

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को बाबा केदार के शीतकालीन प्रवास स्थल उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना कर चारधाम शीतकालीन यात्रा की शुरुआत की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने प्रशासन द्वारा यात्रा के लिए की गई विभिन्न व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण किया तथा अधिकारियों को श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शीतकालीन यात्रा के शुरू होने से प्रदेश में तीर्थाटन व पर्यटन और सशक्त होगा। 

धामी ने कहा, “इससे न केवल वर्षभर पर्यटकों का आगमन होगा, बल्कि यहां के अनेक पर्यटन स्थलों को भी नई पहचान मिलेगी। साथ ही, स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे जो उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में सहायक होंगे।” इस अवसर पर केदारनाथ की विधायक आशा नौटियाल, रुद्रप्रयाग के विधायक भरत चौधरी और श्री बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय भी उपस्थित थे। धामी ने हाल में कहा था कि उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित चारों धामों के शीतकालीन प्रवास स्थलों की यात्रा शुरू की जाएगी तथा श्रद्धालुओं को गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के होटलों में रूकने पर किराए में 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर में चार धामों-बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और उसके बाद मंदिरों में स्थापित देवी-देवताओं को उनके शीतकालीन प्रवास स्थल ले जाया जाता है जहां सर्दियों में उनकी पूजा की जाती है। 

गंगोत्री मंदिर से मां गंगा की डोली को उनके शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा ले जाया जाता है जबकि यमुनोत्री मंदिर से मां यमुना को खरसाली पहुंचा दिया जाता है। भगवान केदारनाथ को जहां उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित किया जाता है, वहीं भगवान बदरीनाथ को उनके शीतकालीन प्रवास स्थल जोशीमठ के नरसिंह मंदिर लाया जाता है। अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं। छह माह के यात्रा सीजन में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु चारधामों के दर्शन के लिए आते हैं और इसे गढ़वाल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। इस वर्ष भी करीब 48 लाख श्रद्धालुओं ने चारों धामों के दर्शन किए। अब चारों धामों के शीतकालीन प्रवास स्थलों की यात्रा शुरू होने से श्रद्धालु वर्ष भर उनके दर्शन कर सकेंगे। 

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