ऋषिकेशः आदियोगी की दिव्य धरती पर अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में जुटे 75 देशों के योग जिज्ञासु

Edited By Nitika, Updated: 10 Mar, 2024 11:09 AM

yoga enthusiasts from 75 countries gathered in the international yoga festival

उत्तराखंड में देहरादून जिला अंतर्गत आदियोगी की दिव्य धरती ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन में महाशिवरात्रि अवसर पर 36वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारंभ हुआ। योग महोत्सव में 75 देशों से 1400 योग जिज्ञासु और 25 देशों से 64 योगाचार्यों द्वारा...

 

देहरादूनः उत्तराखंड में देहरादून जिला अंतर्गत आदियोगी की दिव्य धरती ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन में महाशिवरात्रि अवसर पर 36वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारंभ हुआ। योग महोत्सव में 75 देशों से 1400 योग जिज्ञासु और 25 देशों से 64 योगाचार्यों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है।

अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के सहयोग से आयोजित इस महोत्सव में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने शिवरात्रि के आध्यात्मिक महात्व को साझा करते हुए कहा कि शिव तीन शब्दों से मिलकर बना है, ''श अर्थात शरीर, ई अर्थात ऊर्जा और व अर्थात मोशन''। उन्होंने कहा कि आज विश्व महिला दिवस भी है। शिव और शक्ति दोनों का समन्वय ही इस सृष्टि का समन्वय है। ‘‘शिव और शक्ति दो नहीं, एक हैं। योग, शिव और शक्ति का मिलन है। उन्होंने कहा कि योग और ध्यान हमारे दृष्टि, हमारे विचार और हमारे चिंतन को एक दिशा प्रदान करते हैं।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि शिवरात्रि अंतर्मन का नाद सुनने, अन्तर्मन, अर्न्तचेतना, स्व और शिवत्व से जुड़ने का है। उन्होंने कहा कि शिव परिवार की विविधता ‘‘विविधता में एकता'' का उत्कृष्ट संदेश देती है। उत्तराखंड के तो कण-कण में शिव का वास है। उन्होंने आह्वान किया कि इस शिवरात्रि पर हम सभी ‘‘शिवाभिषेक के साथ धराभिषेक'' की ओर बढ़े। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती ने वैश्विक योगी परिवार का मां गंगा के पावन तट पर अभिनन्दन करते हुए महाशिवरात्रि, भगवान शिव; शक्ति और महामृत्युंजय मंत्र के विषय में शास्त्रोक्त जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि वैदिक परंपरा में हम देवत्व के मूल में विश्वास करते हैं कि हम ईश्वर द्वारा बनाए गए, परमात्मा की संतानें हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म कोई बहुदेववादी धर्म या एकेश्वरवादी धर्म नहीं है। वास्तव में ईश्वर के अलावा कुछ भी नहीं है। शिवरात्रि भय को दूर कर भाव को जागृत करने वाली रात्रि है। यह रात्रि हमेें आभास कराती है कि हमारे चारों ओर दिव्यता के अलावा कुछ भी नहीं और हम परमात्मा से अलग भी नहीं है। उन्होंने विश्व के अनेक देशों से आए प्रतिभागियों को महामृत्युंजय मंत्र का हमारे जीवन में क्या महत्व है इसकी बड़ी ही सहज व्याख्या कर आध्यात्मिक महत्व को साझा किया।

इस अवसर पर, रिकवरी 2.0 के संस्थापक टॉमी रोजेन ने कहा कि लत वह है, जो आपको किसी से नहीं जुड़ने देती। परन्तु योग वह है, जो आपको सभी से जोड़ता है। योग, स्वयं की पुनर्प्राप्ति है और पुनर्प्राप्ति ही योग है। अर्जेंटीना की प्रतिभागी योग शिक्षिका सैंड्रा बार्न्स ने कहा, ‘‘मैं हर वर्ष यहां आती हूँ। परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में योग करना और विश्व के अनेक देशों से आए योगियों से जुड़ने और उनके साथ योग की विधाओं को साझा करना मुझे उत्साहित करता है।'' महोत्सव में सुबह आसन कक्षा की शुरुआत कैलिफोर्निया, अमेरिका के प्रसिद्ध योगाचार्य गुरुशब्द सिंह खालसा के नेतृत्व में कुंडलिनी साधना के साथ हुई। टॉमी रोजेन, विन्यास योगाचार्य कृष्णमाचार्य, योगाचार्य स्टीवटर् गिलक्रिस्ट द्वारा चक्र संतुलन, योगाचार्य केटी बी हैप्पी, योगाचार्य आनंद मेहरोत्रा, योगाचार्य आभा सरस्वती, योगाचार्य गंगा नन्दिनी, योगाचार्य इन्दु शर्मा ने प्रतिभागियों को योग की विभिन्न विधाओं की जानकारी प्रदान की।

प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्य डॉ. रामकुमार ने बताया कि कैसे आयुर्वेद और योग से नशे की लत को ठीक कर सकते हैं। सेक्रेड साउंड स्टेज पर संज हॉल और सैंड्रा बार्न्स ने ‘कॉस्मिक साउंड स्केप' का प्रदर्शन किया, जिसमें सभी योगी एक स्वप्निल और मंत्रमुग्ध करने वाली ध्वनि की यात्रा में डूब गए। जबकि परमार्थ निकेतन गंगा आरती में स्वामी चिदानंद और साध्वी भगवती सरस्वती की उपस्थिति में गुरनिमित सिंह और सत्यानंद के दिव्य कीर्तन का सभी प्रतिभागियों ने आनन्द लिया तथा दिव्य मंत्रों के साथ ध्यान और रुद्राभिषेक किया।

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